हमीरपुर:हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिला के भोरंज क्षेत्र में बीईएमएस डॉक्टर सोनी कुमार वैद्य पारंपरिक तरीके से पैरालिसिस मरीजों का इलाज कर रहे हैं. डॉक्टर पारंपरिक देसी तरीके से बकरी के गोबर से तैयार लेप से कई मरीजों को स्वस्थ कर चुके हैं. मरीज के जिन हिस्सों में पैरालिसिस अटैक के कारण प्रभाव होता है, उन पर लेप लगाकर और मालिश के जरिए मरीजों को ठीक किया जा रहा है. डॉक्टर सोनी कुमार वैद्य का तो यह दावा है कि वह पैरालिसिस के उन तमाम मरीजों को ठीक कर सकते हैं, जो कोमा में नहीं है.
'बकरी के गोबर और चिकनी मिट्टी की लेप से इलाज': डॉक्टर सोनी कुमार के इन दावों को बल यहां इलाज करा रहे मरीजों की रिकवरी से मिलता है. डॉ. सोनी के इस पद्धति से इलाज के बाद मरीज रिकवर हो रहे हैं. देश के कई राज्यों से मरीज उनके क्लीनिक में उपचार के लिए भोरंज के कैहरवीं में पहुंचते हैं. डॉ. सोनी कुमार वैद्य कहते हैं कि बकरी के गोबर (स्थानीय भाषा में मिंगन) और चिकनी मिट्टी के लेप लगाने मात्र से लकवे के मरीजों के उन अंगों को हरकत में लाया जा सकता है, जिन्हें हिलाने में मरीजों दिक्कत आ रही है.
'बकरी के गोबर में औषधि मिलाकर उपचार': डॉ. सोनी ने बताया कि यह लेप दिन मे महज आधे से एक घंटे तक लगाकर मरीज को धूप में बैठाया जाता है. यह कार्य दिन में दो दफा किया जाता है और मालिश भी सुबह की जाती है. वैद्य का कहना है कि घर में रहकर मरीज खुद भी चिकनी मिट्टी और बकरी के गोबर का इस्तेमाल कर इस उपचार को कर सकते हैं. हालांकि इसमें दो से तीन औषधि और भी मिलाई जाती हैं, लेकिन महज इस लेप मात्र से ही लकवे के मरीजों को काफी राहत मिलती है.
'महज 1500 रुपए में दो महीने में मरीज रिकवर':डॉ. सोनी कुमार वैद्य का कहना है कि महज 1500 रुपए की लागत की औषधि से 1 महीने तक मरीज का उपचार किया जा सकता है. कई दफा मरीज उनके पास नहीं पहुंच पाते हैं तो, वह डाक के माध्यम से भी दवाई भेजते हैं. मरीज यदि उन्हें बुलाते हैं तो वह घर पर जाकर भी देश के कई हिस्सों में मरीजों का उपचार कर चुके हैं. उनका कहना है कि यदि कोई मरीज भोरंज में आकर उपचार करवाना चाहता है तो, उसे रहने और खाने का अपना खर्च करना पड़ता है, लेकिन अन्य इलाज का खर्च महज 1500 है. यदि कोई मरीज इतना खर्च करने में भी सक्षम नहीं है तो वहां सिर्फ चिकनी मिट्टी और बकरी के गोबर का लेप लगाकर खुद को लकवा की बीमारी से ठीक कर सकता है.