हमीरपुर: प्रशासनिक संवेदनहीनता का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि 3 साल की मासूम बच्ची को जिला मुख्यालय में कुत्तों ने नोच कर मार डाला और एक भी प्रशासनिक अधिकारी परिजनों से मुलाकात करने नहीं पहुंचा. दिल दहला देने वाली यह घटना जिला मुख्यालय हमीरपुर के वार्ड नंबर 8 से सामने आई थी. जहां पर झुग्गी झोपड़ी के आंगन से ही आवारा कुत्तों के झुंड ने मासूम किरन को उठाकर 100 मीटर दूर झाड़ियों में ले जाकर नोच-नोच कर मार डाला (Dogs killed a Three year old girl in Hamirpur) था.
मामले की सूचना मिलने के बाद नगर परिषद हमीरपुर के अध्यक्ष मनोज कुमार मिन्हास मौके पर पहुंचे, लेकिन प्रशासनिक अधिकारी घटना के 24 घंटे के बाद भी पीड़ित परिवार से मुलाकात करने नहीं पहुंचे. ऐसे में सवाल उठता है कि इस प्रशासनिक संवेदनहीनता के लिए आखिर कौन जिम्मेदार है ? हालात यह है कि प्रशासन की तरफ से अभी तक इस परिवार को फौरी राहत तक नहीं दी गई है. क्या यह परिवार प्रवासी है, इस वजह से प्रशासन संजीदा नहीं है या फिर किसी मासूम की जान जाने से संवेदनहीन प्रशासनिक अधिकारियों को कोई फर्क ही नहीं पड़ता है.
घटना की सूचना मिलने पर देर रात ही नगर परिषद हमीरपुर के अध्यक्ष मनोज कुमार मिन्हास मौके पर पहुंचे थे और 3 हजार की फौरी राहत निजी तौर पर परिवार को दी थी. लेकिन प्रशासन की तरफ से अभी तक परिवार को कोई राहत नहीं दी गई है. आर्थिक राहत तो दूर की बात है लेकिन कोई प्रशासनिक अधिकारी यहां पर पीड़ित परिवार को ठंड से बचाने के लिए भी नहीं पहुंचा.(Dogs Attacked on Three year old girl in Hamirpur).
कोताही की पराकाष्ठा: प्रशासनिक कोताही की पराकाष्ठा को आप कुछ इस तरह से समझ सकते हैं कि नगर परिषद हमीरपुर के अध्यक्ष ने इस तमाम घटनाक्रम की रिपोर्ट पटवारी को सौंपी है. अब पटवारी यह रिपोर्ट तहसीलदार और उसके बाद एसडीएम को सौंपेंगे. इसके बाद यह तय हो पाएगा कि इस परिवार को क्या मुआवजा दिया जाना है या फिर क्या फौरी राहत दी जाएगी. ऐसे में फौरी राहत की धारणा पर भी सवाल उठ रहे हैं कि क्या फौरी राहत 24 घंटे बाद दी जाएगी.