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नादौन में डायरिया का कहर जारी: चार दिन में 973 लोग हुए डायरिया के शिकार, आज 105 नए मामले आए - Diarrhea Spread in Himachal

मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के विधानसभा क्षेत्र नादौन में डायरिया का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है. चौथे दिन मंगलवार को भी डायरिया के 105 नए मामले आए हैं. चार दिनों में डायरिया की चपेट में आए लोगों की संख्या 973 पहुंच गई है.

नादौन में डायरिया का कहर जारी
नादौन में डायरिया का कहर जारी

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Published : Jan 31, 2023, 8:23 PM IST

हमीरपुर:मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के गृह जिला हमीरपुर में डायरिया का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है. बीमारी फैलने के चौथे दिन मंगलवार को 7 और गांव में डायरिया के मामले सामने आए हैं. मंगलवार को ही स्क्रीनिंग के दौरान 105 नए मरीज सामने आए हैं. हालांकि अस्पताल में महज 4 मरीज उपचार के लिए लाए गए हैं. जबकि अन्य सभी मरीजों का घर पर ही उपचार चल रहा है. क्षेत्र में अब डायरिया से पीड़ित लोगों के कुल संख्या 973 हो गई है. सोमवार तक 868 मामले सामने आए थे.

जिला के नादौन विधानसभा क्षेत्र की 5 पंचायतों में डायरिया का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा है. लगातार चौथे दिन भी स्वास्थ्य विभाग की टीम ने मौके पर डटी हुई हैं और लोगों की स्क्रीनिंग घरों में जाकर की जा रही है. नादौन खंड के कुछ गांवों में डायरिया के मामलों का पता लगाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की 6 टीमें सोमवार को भी फील्ड में डटी रहीं.

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आरके अग्रिहोत्री ने बताया कि कुल 50 के लगभग गांव में स्क्रीनिंग रखी गई है और 41 गांव में मामले सामने आए हैं. उन्होंने कहा कि बीमारी के ग्राफ में अब कमी आ रही है. मंगलवार को 105 लोग बीमारी से पीड़ित पाए गए हैं. हालांकि सब की हालत स्थिर है. डॉ. आरके अग्रिहोत्री ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की टीमें क्षेत्र के गांवों में अभी लोगों की स्क्रीनिंग जारी रखेगी. उन्होंने कहा कि मंगलवार को 105 और लोग डायरिया से पीड़ित पाए गए हैं.

डायरिया फैलने के 4 दिन बाद भी पानी की सैंपल रिपोर्ट का इंतजार: संबंधित क्षेत्र की पेयजल योजनाओं का जल दूषित होने की आशंका के चलते जल शक्ति विभाग ने पानी की सप्लाई बंद कर दी है. इन तीनों योजनाओं का मुख्य सोर्स कुनाह खड्ड है. यहां से तीनों पेयजल योजनाओं के लिए रोजाना साढ़े चार लाख लीटर पानी लिफ्ट किया जाता है. बीमारी के फैलने के कारण जल शक्ति विभाग यहां पर टैंकर के जरिए लोगों को पानी मुहैया करवा रहा है. सोमवार शाम को इन पेयजल योजनाओं के पानी के सैंपल की डिटेल रिपोर्ट आने की उमीद थी. उसके बाद ही पेयजल योजनाओं का पानी की सप्लाई को बहाल किया जाना था, लेकिन रिपोर्ट न आने की वजह से पेयजल सप्लाई बहाल नहीं हो पाई है.

बीमारी फैलने के चार दिन के बाद भी अभी तक कारणों का पता नहीं चल पाया है. माना यही जा रहा है कि दूषित पानी की वजह से यह डायरिया फैला है. जिसके चलते लोग उल्टी-दस्त और हल्के बुखार की चपेट में आ रहे हैं. जल शक्ति विभाग द्वारा पानी के सैंपल डिटेल जांच के लिए कंडाघाट और चंडीगढ़ लैब में भेजे गए हैं. स्वास्थ्य विभाग हमीरपुर की तरफ से मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में पानी के सैंपल जांच के लिए भेजे हैं और यहां पर विशेषज्ञों की टीम बुधवार को पानी के सैंपल की रिपोर्ट देगी.

स्टोरेज टैंकों की हुई सफाई:उल्टी दस्त की वजह से प्रारंभिक तौर पर यह माना जा रहा है कि यह जल जनित रोग है और पेयजल योजना में पानी को खड्ड से उठाकर सीधा सप्लाई किया जा रहा है. जिससे लोग बीमार हुए हैं. पेयजल योजना के जरिए इस तरह से पानी वितरित करने का कार्य पिछले कई महीनों से किया जा रहा है. लेकिन एकाएक लोगों के बीमार होने से अब पानी के दूषित होने की आशंका जताई जा रही है. फिलहाल पेयजल सप्लाई बंद करने के चलते योजनाओं की स्टोरेज टैंक की साफ सफाई कर ली गई है और इनमें क्लोरिनेशन भी की गई है.

तो क्या अवैध खनन से बने गड्ढों में बारिश के पानी से फैली बीमारी ?:हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी के विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी रहे कांग्रेस नेता और पब्लिक हेल्थ विशेषज्ञ डॉक्टर पुष्पेंद्र वर्मा लगातार दो दिन से डायरिया प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं. उन्होंने 2 दिन जिले के नादौन क्षेत्र की जोल सपर और रंगस पंचायतों का दौरा किया. उन्होंने कहा कि उनके हिसाब से इस बीमारी के फैलने के कारण दूषित जल का पीने के पानी के साथ मिलना हो सकता है.

पुष्पेंद्र वर्मा ने कहा कि पेयजल योजना के आसपास कगई जगह अवैध खनन हुआ है. जिसमें 8-9 मीटर के बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं और उनमें महीनों से दूषित पानी रुका हुआ है. ऐसे में बारिश होने से उस पानी के खड्ड के पानी से मिलने की पूरी संभावना है. उन्होंने कहा कि यह न केवल यहां की बात है, बल्कि यह पूरे हमीरपुर जिले में हो रहा है. गर्मियों के दिनों में तो जिले की जनता को पानी की भारी किल्लत रहती है. उन्होंने आईपीएच प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और माइनिंग अधिकारियों से अपील की कि वह भी ऐसी पेयजल योजनाओं का समय-समय पर दौरा करें.

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