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सिर्फ चिंता व्यक्त कर चले गए अनुराग! हमीरपुर अस्पताल में बूढ़ी सीटी स्कैन मशीन को नहीं मिल रही रिटायरमेंट

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Published : Jun 19, 2021, 3:56 PM IST

हमीरपुर के मेडिकल कॉलेज में लंबे समय से स्वास्थ्य उपकरणों की कमी के कारण लोग परेशानियों से जूझ रहे हैं. दरअसल मेडिकल कॉलेज की सीटी स्कैन मशीन खराब हो चुकी है जिसकी वजह से लोगों को काफी परेशानी आ रही है.

हमीरपुर मेडिकल कॉलेज
हमीरपुर मेडिकल कॉलेज

हमीरपुर: केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर के गृह जिले हमीरपुर के मेडिकल कॉलेज में लंबे समय से स्वास्थ्य उपकरणों की कमी के कारण लोग परेशानियों से जूझ रहे हैं. हालात ऐसे हैं कि मेडिकल कॉलेज हमीरपुर की सीटी स्कैन मशीन आउटडेटेड (पुरानी) हो चुकी है.

अस्पताल में नहीं मिल पा रही सीटी स्कैन की सुविधा

सरकार सीटी स्कैन मशीन को अब निजी हाथों के माध्यम से चलाने की तैयारी में है. हैरानी इस बात की है पिछले कुछ माह पहले केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने नगर परिषद हमीरपुर के टाउन हॉल में आयोजित एक कार्यक्रम में यह सुविधा मेडिकल कॉलेज में ना होने की वजह से चिंता व्यक्त की थी. उसके बाद प्रदेश सरकार की तरफ से जल्द ही यहां पर लोगों की सुविधा के लिए सीटी स्कैन की नई मशीन उपलब्ध करवाने का दावा किया गया था, लेकिन सरकार और प्रशासन के दावे सिटी स्कैन मशीन की तरह ही यहां पर आउटडेटेड नजर आ रहे हैं.

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अस्पताल प्रबंधन का जल्द सुविधा देने का आश्वासन

मेडिकल कॉलेज हमीरपुर के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. रमेश चौहान का कहना है कि इस मशीन को पीपीपी( पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मोड पर चलाया जाएगा. इसके लिए बाकायदा टेंडर भी हो चुका है. उन्होंने कहा कि जल्द ही लोगों को यहां पर सीटी स्कैन की सुविधा मिलेगी. उन्होंने यह भी माना कि वर्तमान में जो मशीन मेडिकल कॉलेज में सीटी स्कैन की है, वह आउटडेटेड हो चुकी है और इस मशीन की मरम्मत करने वाली कंपनी ने भी इसकी मरम्मत करने से मना कर दिया है.

लोगों को अन्य जिलों का करना पड़ रहा रुख

गौरतलब है कि हमीरपुर जिला में मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में ही सीटी स्कैन की सुविधा उपलब्ध है. हालांकि जिले में अन्य निजी अस्पतालों में यह सुविधा उपलब्ध है, लेकिन सरकारी अस्पतालों की बात करें तो सिर्फ मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में ही यह मशीन स्थापित है. यहां पर लंबे समय से इस मशीन के खराब होने की वजह से मरीजों को सिर्फ सिटी स्कैन करवाने के लिए ही अन्य जिलों का रुख करना पड़ता है. हजारों रुपए खर्च कर लोगों को शिमला या टांडा मेडिकल कॉलेज जाना पड़ता है.

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