हमीरपुर: कोरोना की मार से हर वर्ग प्रभावित हुआ है. देश की अर्थव्यवस्था से लेकर एक घर की आर्थिक सेहत को नुकसान पहुंचा है. सेहत से साधन भी जरूरी है. ऐसे में पहलवानी के पेश से जुड़े पहलवानों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा था. पहलवान चाहे छोटा हो या बड़ा अखाड़े की अहमियत सभी के लिए एक समान होती है. उनके सम्मान और कमाई का साधन भी ये अखाड़ा ही है.
हर गांव हर पंचायत में होते हैं दंगल
हिमाचल के हर जिला में दंगलों का आयोजन ग्रामीण स्तर पर होता है. छोटे छोटे मेले पंचायत स्तर पर आयोजित होते हैं. इसके अलावा पंचायतों की तरफ से सार्वजनिक दंगलों का भी आयोजन किया जाता है. दंगलों का यह दौर फरवरी के बाद ही शुरू होता है, लेकिन पिछले साल मार्च में ही लॉकडाउन के कारण सभी मेले दंगल स्थगित कर दिए गए जिससे इस पेशे से जुड़े लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा.
हजारों लाखों रुपये के ईनाम पाते हैं पहलवान
प्रदेश में छोटे छोटे छिंज मेलों और दंगलों के आयोजन के साथ जिलास्तरीय, राज्यस्तरीय मेलों का भी आयोजन होता है. इन मेलों में हजारों रुपये के ईनाम पहलवानों को दिए जाते हैं. इसके अलावा बड़े स्तर के दंगल भी प्रदेश में विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से आयोजित होते हैं जिनमें लाखों रुपये के खिताब पहलवानों को दिए जाते हैं.
दंगल प्रतियोगिताएं शुरू होने से पहलवान खुश
भारत केसरी खिताब विजेता पहलवान नवदीप कुमार ने बताया कि वे उनके गुरू परशुराम अवॉर्डी जॉनी चौधरी एकेडमी में कोचिंग लेते हैं. नेशनल टूर्नामेंट में एकेडमी से कई पहलवान हिस्सा लेते हैं. लेकिन कोरोना काल में उन्हें बहुत नुकसान हुआ क्योंकि बीते एक साल से पहलवानी की कोई प्रतियोगिता नहीं हो पाई. अब फिर से प्रतियोगिताएं शुरू होने से वे खुश हैं.
कुश्ती देखने पहुंचे दर्शक कोरोना काल में भी जारी रहा अभ्यास
एक अन्य पहलवान दीपक का कहना है कि बेहद खुशी की बात है कि एक बार फिर दंगल शुरू हो गए हैं. दंगल के शुरू होने से उन्हें खेलने का मौका मिल रहा है. हालांकि कोरोनाकाल में वह कुश्ती एकेडमी में लगातार अभ्यास करते रहे, लेकिन लॉकडाउन के कारण उन्हें काफी दिक्कतें पेश आई थी. इससे पहले वह 35 के लगभग दंगल में कुश्ती लड़ चुके हैं जिनमें से अधिकतर में उन्होंने खिताब अपने नाम किया है.
लोगों से सावधानी बरतने की अपील
अंतरराष्ट्रीय पहलवान और परशुराम अवॉर्डी जॉनी चौधरी ने कहा कि वह हमीरपुर में पहलवानों को कोचिंग दे रहे हैं और वे कुश्ती एकेडमी चलाते हैं. पिछले एक साल से कोरोना की वजह से मुश्किल समय रहा, लेकिन अब कुश्ती, दंगल शुरू होने से उनके पहलवान कुश्ती में हिस्सा ले रहे हैं. उन्होंने लोगों से सावधानी बरतने और सेहत का ध्यान रखने की अपील की है. वहीं, कुश्ती एकेडमी संचालक विनोद कुमार ने कहा कि कोरोना की वजह से कार्य प्रभावित हो गया था. अब दंगल और कुश्ती शुरू होने से राहत मिली है. उनका कहना है कि एकेडमी में अभ्यास तो किया जा रहा था, लेकिन दंगल आयोजन न होने से दिक्कत पेश आ रही थी. अब कुछ हद तक राहत मिली है.
कुश्ती देखने पहुंचे दर्शक लोगों के लिए मनोरंजन का जरिया
हमीरपुर निवासी विवेक भाटिया ने कहा कि दोबारा कुश्ती और दंगल शुरू होने से उन्हें अच्छा महसूस हो रहा है. क्योंकि पिछले काफी समय से वे घर से बाहर नहीं जा पा रहे थे. अब फिर से कुश्ती प्रतियोगिताएं शुरू होने से वे बहुत खुश हैं. वहीं, स्थानीय निवासी नितिन ठाकुर का कहना है कि कुश्ती दंगल और खेलों के आयोजन से काफी अच्छा लग रहा है, लेकिन कोरोना नियमों को लेकर सावधानी बरतना भी बहुत जरूरी है. ग्रामीण क्षेत्रों में कुश्ती, दंगल लोगों के लिए मनोरंजन का माध्यम है.
नहीं खत्म हुआ कोरोना का खतरा
फिलहाल सरकार ने प्रदेश में कोरोना को देखते हुए अधिकतर बंदिशों को हटा दिया है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं. ऐसे में आने वाले दिनों में अगर हालात बिगड़ते हैं तो बंदिशें एक बार फिर लागू की जा सकती हैं. वहीं, कुश्ती, दंगल और मेलों के आयोजन से व्यापार के साथ ही कुश्ती के पेशे से जुड़े पहलवानों को अब काफी राहत मिली है.
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