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कोरोना इफेक्ट: सामाजिक दूरी के दौर में गांव में इस परंपरा ने मिलाए लोगों के दिल

लोगों ने बीमारी से बचाव के लिए सामाजिक दूरी तो अपना ली है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के दिल करीब आ गए हैं. लोगों के पास अब समय की कमी नहीं है और अब एक दूसरे की मदद करने के लिए लोग आगे आ रहे हैं. पुराने समय में किसान एक दूसरे की मदद फसल कटाई समेत कई कार्यों के लिए करते थे और स्थानीय भाषा में ज्वार कहा जाता था.

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Published : May 12, 2020, 7:21 PM IST

Updated : May 12, 2020, 8:15 PM IST

हमीरपुर: कोरोना काल में सामाजिक दूरी के दौर में कुछ सकारात्मक पहलू भी वैश्विक महामारी के देखने को मिल रहे हैं. लोगों ने बीमारी से बचाव के लिए सामाजिक दूरी तो अपना ली है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के दिल करीब आ गए हैं. लोगों के पास अब समय की कमी नहीं है और अब एक दूसरे की मदद करने के लिए लोग आगे आ रहे हैं. पुराने समय में किसान एक दूसरे की मदद फसल कटाई समेत कई कार्यों के लिए करते थे और स्थानीय भाषा में ज्वार कहा जाता था.

भोरंज विधानसभा क्षेत्र की करा पंचायत के पुठवीं गांव में लोगों ने एक दूसरे की मदद से फसल को काटा है. यहां पर भी लोग एक दूसरे की मदद कर रहे है. यहां पर एक महिला गायत्री देवी की फसल कटाई बिछड़ गई थी और गांव वालों ने मिलकर उसकी फसल को काटा और घर तक एक-एक दाना पहुंचाने में हर संभव मदद की महिला ने सभी गांव वालों का आभार जताया है.

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देव पंचायत निवासी व्यास देव ने बताया कि गांवा के जमींदार मिल-जुल कर काम कर रहे है. उन्होंने कहा कि प्रवासी मजदूर यहां से चले गए हैं लेकिन फिर भी हम खुश हैं क्योंकि हम लोगों ने मिल-जुल कर काम खत्म किया है. खेत में काम कर रही गांव की महिला गायत्री देवी ने कहा कि मजदूर लोग अब यहां से चले गए हैं इसलिए हम लोग एक-दूसरे के काम में पहले की तरह ही हाथ बंटा रहे हैं. लोगों ने मेरी मदद की है इसके लिए मैं सबकी आभारी हूं.

महिला रूमा देवी का कहना है कि पुराने समय में भी इस तरह से फसल काटते थे इसमें कोई नई बात नहीं है अब लोगों के पास समय नहीं था, लेकिन वैश्विक महामारी के कारण मजदूर नहीं मिल रहे हैं और सब लोग घर में हैं तो एक दूसरे की मदद कर रहे हैं.

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इस सम्दर्भ में गांव के किसान कुलदीप ने बताया कि कोरोना से पहले गांव के लोग प्रवासी मजदूरों से खेती बाड़ी करवाते थे, लेकिन हमारे दिल मिले और जैसे पहले इकट्ठे होकर काम करते थे अब फिर से वैसे ही काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि कोरोना से सभी घबराए हुए हैं, लेकिन गांव के सभी लोग एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं. डर के बावजूद लोगों ने एक-जुट होकर दिल मिलाकर काम किया. सभी की मदद की ताकि किसी का कोई काम रह न जाए.

कोरोना महामारी के चलते प्रत्येक क्षेत्र में कुछ न कुछ दुष्परिणाम देखने को मिल रहे हैं और कृषि क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं हैं. इसके बावजूद हमीरपुर के कुछ गांवों में इसका सकारात्मक पहलू भी देखने को मिल रहा है. कुछ सालों से परिवार छोटा होने और लोगों के रोजी-रोटी की तलाश में शहरों की तरफ रूख करने से खेती-बाडी प्रवासी मजदूरों के उपर निर्भर हो गई थी.

उत्तर प्रदेश व बिहार जैसे राज्यों से आए सैंकडों लोग हमीरपुर जिला के गांवों में लोगों की खेती-बाड़ी सम्भालते, लेकिन कोरोना महामारी के चलते यह सभी लोग वापिस अपने-अपने राज्यों में चले गए हैं. ऐसे में गांवों के लोगों के पास गेहूं की कटाई की सबसे बड़ी चुनौती सामने खड़ी हो गई थी. ऐसे में गांवों के लोगों ने खेती-बाड़ी की फिर पुरानी पद्धति ज्वार को अपना कर इस चुनौति का बखूबी सामना किया.

पुराने समय में गांवों के लोग एक-दूसरे के खेतों में सामूहिक रूप ज्वार पद्धति से काम करके एक-दूसरे के काम में हाथ बंटाते थे. कोरोना ने सामाजिक दूरियों को बढाने का काम जरूर किया, लेकिन इसका सकारात्मक पहलू ये है कि गांव के लोगों के दिलों का एक-बार पुनः पुराने समय की तरह जुड़ाव हो गया.

हमीरपुर जिला के भोरंज विधानसभा क्षेत्र की करा पंचायत के पुठवीं लोगों ने अपने पूर्वजों की पद्धति को अपनाया, और गेहूं की कटाई में सारे गांव के लोगों ने एक-दूसरे का साथ दिया.

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Last Updated : May 12, 2020, 8:15 PM IST

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