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किसान आंदोलन के समर्थन में बड़सर में कांग्रेस ने किया सम्मेलन, कृषि कानून को वापस लेने की मांग - कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग

बड़सर के मैहरे गांव में बुधवार को किसान सम्मेलन का आयोजन किया गया. सम्मेलन की अध्यक्षता ब्लॉक कांग्रेस बड़सर के अध्यक्ष केवल धीमान ने की. पुरुषोत्तम कालिया उपाध्यक्ष जिला कांग्रेस, सचिव राजेश पठानिया, जिला प्रभारियों ने मुख्य रूप से भाग लिया. उपस्थित सदस्यों ने मोमबत्तियां जलाकर शहीद किसानों को अपनी ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि दी.

Congress organized farmers conference
Congress organized farmers conference

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Published : Feb 10, 2021, 8:34 PM IST

बड़सरः ब्लॉक कांग्रेस कमेटी बड़सर के बैनर तले मैहरे गांव में बुधवार को एक किसान सम्मेलन का आयोजन किया गया. यह कार्यक्रम अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी एवं प्रदेश कांग्रेस कमेटी के आह्वान पर आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम में जिला कांग्रेस कमेटी हमीरपुर के अध्यक्ष राजेंद्र जार ने मुख्य अतिथि के रुप में भाग लिया.

सम्मेलन की अध्यक्षता ब्लॉक कांग्रेस बड़सर के अध्यक्ष केवल धीमान ने की. पुरुषोत्तम कालिया उपाध्यक्ष जिला कांग्रेस, सचिव राजेश पठानिया, जिला प्रभारियों ने मुख्य रूप से भाग लिया. उपस्थित सदस्यों ने मोमबत्तियां जलाकर शहीद किसानों को अपनी ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि दी.

वीडियो.

जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष ने कहा

जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राजेंद्र जार ने कहा कि किसानों पर जबरदस्ती काले कानून थोपे जा रहे हैं. किसानों ने कभी इन कानूनों की मांग ही नहीं की है. सरकार के तानाशाही रवैये से किसान परेशान हैं.

किसानों के आंदोलन पर विस्तृत चर्चा

बैठक में किसानों के आंदोलन पर विस्तृत चर्चा की गई. इस सम्मेलन में दो महत्वपूर्ण प्रस्ताव भी किसान आंदोलन से संबंधित हाउस में पारित किए गए. पहले प्रस्ताव द्वारा फिर एक बार किसानों को पूरा समर्थन देने की बात दोहराई गई.

कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग

कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने इस प्रस्ताव के माध्यम से केंद्र सरकार से इन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की है. प्रस्ताव में यह भी दोहराया गया है कि जब तक किसान आंदोलन चलेगा कांग्रेस पार्टी उनका समर्थन और साथ देती रहेगी. कि पिछले कल संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नें किसान आंदोलन का मजाक उड़ाते हुए किसानों को आंदोलनजीवी जैसे भद्दे शब्दों से संबोधित करना प्रधानमंत्री की हल्की सोच का उदाहरण है.

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