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हमीरपुर: भारत बंद के समर्थन में सड़कों पर उतरे सीटू कार्यकर्ता - हिमाचल प्रदेश न्यूज

हमीरपुर के गांधी चौक पर दर्जनों की संख्या में सीटों कार्यकर्ता एकत्र हुए और किसान आंदोलन के समर्थन में नारेबाजी की और किसानों की मांगों को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए आवाज बुलंद की. सीटू के राष्ट्रीय सचिव डॉक्टर कश्मीर सिंह ठाकुर ने कहा कि किसान यूनियनों की तरफ से भारत बंद का ऐलान किया गया है और भारत की 10 ट्रेड यूनियन भी इस को समर्थन दे रही है. इसी कड़ी में हमीरपुर जिला में भी यह प्रदर्शन किया जा रहा है और किसानों के आंदोलन को समर्थन दिया जा रहा है.

CITU activists in support of Bharat Bandh in Hamirpur
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Published : Dec 8, 2020, 5:31 PM IST

हमीरपुर: भारत बंद के समर्थन में सीटू कार्यकर्ताओं और मजदूर नेताओं ने हमीरपुर में प्रदर्शन किया. सीटू के राष्ट्रीय सचिव डॉ. कश्मीर सिंह ठाकुर की अगुवाई में यह प्रदर्शन किया गया. हमीरपुर के गांधी चौक पर दर्जनों की संख्या में सीटों कार्यकर्ता एकत्र हुए और किसान आंदोलन के समर्थन में नारेबाजी की और किसानों की मांगों को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए आवाज बुलंद की.

सीटू के राष्ट्रीय सचिव डॉक्टर कश्मीर सिंह ठाकुर ने कहा कि किसान यूनियनों की तरफ से भारत बंद का ऐलान किया गया है और भारत की 10 ट्रेड यूनियन भी इस को समर्थन दे रही है. इसी कड़ी में हमीरपुर जिला में भी यह प्रदर्शन किया जा रहा है और किसानों के आंदोलन को समर्थन दिया जा रहा है.

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उद्योगपतियों को और धनवान बनाने का प्रयास

उन्होंने कहा कि कोरोना संकटकाल में केंद्र सरकार ने एक तरफ जहां मजदूरों के हितों का हनन किया तो वहीं, दूसरी तरफ किसानों के हकों पर भी हमला किया है. काले कानून लाकर उद्योगपतियों को और धनवान बनाने का प्रयास व केंद्र सरकार कर रही है.

उन्होंने कहा कि नए कृषि कानूनों के वजह से जमाखोरी को बढ़ावा मिलेगा और इसे न्यूनतम समर्थन मूल्य का हक जो किसानों को मिलता था उसका भी हनन हो रहा है. उन्होंने कहा कि जमाखोरी होने से कृत्रिम कमी पैदा की जाएगी और मुनाफे के चक्कर में उद्योगपति आम जनमानस को महंगी दरों पर खाद्य सामग्री बेचेंगे.

कानूनों में बदलाव कर इन्हें किसानों पर थोपा जा रहा है

इस वजह से इन काले कानूनों के खिलाफ किसान सड़कों पर उतरे हैं. मजदूर नेताओं का दावा है कि इससे पहले श्रम कानूनों में बदलाव कर मजदूरों के हकों का हनन केंद्र सरकार ने किया वहीं, अब कृषि कानूनों में बदलाव कर इन्हें किसानों पर थोपा जा रहा है जो कि गलत है.

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