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Published : Jan 25, 2021, 4:25 PM IST

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अद्भुत हिमाचल: कान्हा की लीला से राजा के दंड से बचे थे पुजारी! आज भी उल्टी पकड़ी है हाथों में मुरली

ईटीवी भारत की खास सीरिज अद्भुत हिमाचल में सुजानपुर कस्बे के मुरली मनोहर मंदिर के बारे में बताएंगे, जहां कान्हा ने उल्टी दिशा में मुरली पकड़ी है. कान्हा के उल्टी मुरली पकड़ने के पीछे एक अद्भुत कहानी है.

Murali Manohar Temple Hamirpur News, मुरली मनोहर मंदिर हमीरपुर न्यूज
फोटो.

हमीरपुर:हिमाचल प्रदेश को देवी देवताओं की भूमि माना जाता है. यहां पर साक्षात रूप में भगवान मौजूद रहते हैं. देवभूमि में सैकड़ों की संख्या में मंदिर मौजूद हैं, जिनका ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत महत्व है. ऐसा ही एक मंदिर महाराजा संसार चंद की नगरी सुजानपुर टीहरा में मौजूद है, जिसका निर्माण लगभग 400 वर्ष पूर्व राजा संसार चंद ने स्वयं किया था.

वीडियो रिपोर्ट.

इस मंदिर से भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी को गुलाल लगाकर ही राष्ट्र स्तरीय होली उत्सव का आगाज होता है. इस मंदिर में मौजूद श्री कृष्ण जी की मुरली का इतिहास भी अद्भुत है. हजारों की संख्या में श्रद्धालु इस मंदिर में नतमस्तक होते हैं और भगवान श्री कृष्ण जी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.

मुरली मनोहर मंदिर महाराजा संसार चंद की नगरी सुजानपुर टीहरा में मौजूद है, जिसका निर्माण लगभग 400 साल पहले राजा संसार चंद ने किया था. कहा जाता है कि जिस समय मुरली मनोहर मंदिर में श्री कृष्ण जी की मूर्ति की स्थापना की जा रही थी, उस समय महाराजा संसार चंद ने मूर्ति की स्थापना से इंकार कर दिया.

दरअसल महाराज ने पुजारियों से भगवान श्री कृष्ण के मौजूद होने का सबूत मांगा. उन्होंने कहा कि अगर सुबह तक मुझे जवाब नहीं मिला तो सभी पुजारियों को दंड दिया जाएगा. पुजारी रातभर इसी चिंता में डूबे रहे कि कैसे मुरली मनोहर श्रीकृष्ण के होने का सबूत राजा को दें, लेकिन कहा जाता है कि सुबह मंदिर में भगवान श्री कृष्ण के चमत्कार को देखकर सभी दंग रह गए.

पुजारियों सहित महाराज ने देखा कि भगवान श्री कृष्ण की मुरली दूसरी दिशा में घूम गई. पुजारियों ने बताया कि शाम के समय मुरली की दिशा सीधी थी, लेकिन अब मुरली विपरीत दिशा में है. जिसके बाद राजा ने भगवान कृष्ण की मूर्ति की स्थापना की.

मुरली मनोहर मंदिर को एक लख टकिया मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इसका निर्माण महाराजा संसार चंद ने एक लाख रुपये से करवाया था. मंदिर के अंदर की नक्काशी उस दौर के कलाकारों और उनके हुनर की याद दिलाती है.

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