हमीरपुर: विपरीत परिस्थितियां और विकट समस्याएं अक्सर हमारी क्षमता, योग्यता और धैर्य की ही परीक्षा नहीं लेती हैं, बल्कि कुछ नया सोचने एवं करने और समस्याओं का समाधान निकालने के लिए भी प्रेरित करती हैं. पिछले डेढ़ वर्ष से अधिक समय से जारी कोरोना संकट ने भी जहां हमें कई सबक दिए हैं.
वहीं, इन परिस्थितियों का मुकाबला करने के लिए नवाचार यानि इनोवेशन को भी बढ़ावा दिया है. इसकी एक मिसाल हिमाचल प्रदेश के छोटे से जिला हमीरपुर में भी देखने को मिल रही है. हमीरपुर की जिलाधीश देबश्वेता बनिक (DC Debashweta Banik) की प्रेरणा और प्रोत्साहन से यहां के राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) के एक विद्यार्थी रजत अनंत ने ऑक्सीजन गैस सिलेंडरों को बदलने और अस्पताल के भीतर इन्हें आसानी से लाने और ले जाने के लिए एक सेमी-ऑटोमेटेड ट्रॉली तैयार की है.
आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है की कहावत को चरितार्थ करते हुए बनाई गई यह ट्रॉली आने वाले समय में बहुत ही उपयोगी साबित हो सकती है. विशेषकर, कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर की आशंका के मद्देनजर एनआईटी के विद्यार्थी की इस इनोवेशन में कई संभावनाएं नजर आ रही हैं.
जिलाधीश देबश्वेता बनिक ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान अस्पतालों में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही थी और ऑक्सीजन सिलेंडरों को बार-बार बदलने और इन्हें अस्पताल की एक मंजिल से दूसरी मंजिल तक ले जाने में स्वास्थ्य कर्मचारियों को काफी मशक्कत करनी पड़ रही थी.
एक सिलेंडर को बदलने में ही काफी ज्यादा वक्त लग रहा था और इस कार्य में 5-6 लोगों की सेवाएं लेनी पड़ रही थीं. अस्पताल प्रबंधन के लिए यह अपने आप में एक बड़ी समस्या थी. जिलाधीश देबश्वेता बनिक ने बताया कि बाजार में भी इस काम के लिए कोई सेमी-ऑटोमेटेड ट्रॉली उपलब्ध नहीं थी.