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जनरल जोरावर सिंह की 179वीं पुण्यतिथि: हमीरपुर में व्याख्यान एवं परिचर्चा का आयोजन

महान सेनानायक जनरल जोरावर सिंह की 179वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में जिला हमीरपुर में ठाकुर जगदेव चंद समृद्धि शोध संस्थान नेरी में शनिवार को व्याख्यान एवं परिचर्चा का आयोजन किया गया. इस मौके पर इतिहास शोध संस्थान के निदेशक एवं समन्वयक चेतराम गर्ग एवं डॉक्टर कर्म सिंह सचिव हिमाचल भाषा कला संस्कृति अकादमी विशेष अतिथि के रुप में उपस्थित रहे.

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Published : Dec 12, 2020, 5:50 PM IST

179th death anniversary of General Zorawar Singh
फोटो.

हमीरपुर: भारत के नेपोलियन कहे जाने वाले महान सेनानायक जनरल जोरावर सिंह की 179वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में ठाकुर जगदेव चंद समृद्धि शोध संस्थान नेरी में शनिवार को व्याख्यान एवं परिचर्चा का आयोजन किया गया.

ठाकुर जगदेव चंद समृति शोध संस्थान नेरी एवं हिमाचल भाषा कला संस्कृति अकादमी शिमला के संयुक्त तत्वाधान में यह आयोजन किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता सुभाष चंद दीवान द्वारा की गई. इस मौके पर इतिहास शोध संस्थान के निदेशक एवं समन्वयक चेतराम गर्ग एवं डॉक्टर कर्म सिंह सचिव हिमाचल भाषा कला संस्कृति अकादमी विशेष अतिथि के रुप में उपस्थित रहे.

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कोरोना प्रोटोकॉल के अंतर्गत 40 लोग कार्यक्रम में उपस्थित रहे

मुख्य वक्ता सहायक प्रोफेसर डॉ. राकेश कुमार शर्मा ने कहा कि जनरल जोरावर सिंह भारत के एक महान सेनानायक थे. उन्होंने जनरल जोरावर सिंह के अदम्य साहस पराक्रम के परिणाम स्वरुप ही लद्दाख भारत का अभिन्न अंग है. भारतीय गणराज्य में शामिल यह क्षेत्र जनरल जोरावर सिंह के बलिदानों के कारण ही जम्मू रियासत में शामिल किया गया था.

उन्होंने कहा कि भारतीय इतिहास में जनरल जोरावर सिंह का योगदान विशेष महत्व रखता है उनसे जुड़े कई अनछुए पहलू उजागर किए जाने बाकी है और इन्हें समाज के समक्ष लाए जाना शोध का महत्वपूर्ण विषय है.

हमीरपुर जिला के नादौन क्षेत्र के अंसरा गांव के रहने वाले थे

इस परिचर्चा एवं व्याख्यान के दौरान अन्य वक्ताओं ने भी अपने विचार रखे परिचर्चा के दौरान जनरल जोरावर सिंह के बलिदानों को याद किया गया. आपको बता दें कि महान सेनानायक जनरल जोरावर सिंह हमीरपुर जिला के नादौन क्षेत्र के अंसरा गांव के रहने वाले थे.

उन्होंने जम्मू रियासत के महान सेनानायक के रूप में लद्दाख पर कई बार चढ़ाई की और यहां पर कई दफा जीत हासिल कर लगभग एक लाख वर्ग किलोमीटर का एरिया जम्मू रियासत में मिलाया था जो आज हिंदुस्तान का अभिन्न अंग है.

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