चंबा:चंबा के उपमंडल सलूणी की पंचायत लनोट के एक छोटे से गांव मुलेड के रमेश कुमार वर्मा ने विदेशी सेब के अच्छी किस्म के पौधे की नर्सरी तैयार कर पिछले 6 सालों में 600 बागवानों को 50 हजार पौधों की बिक्री कर बागवानी काम से जोड़ने के साथ अपनी आमदनी में दस गुणा बढ़ोतरी की है. रमेश कुमार वर्मा ने प्रदेश में 60 लाख रुपये कमा कर एक मिसाल पेश की है.
प्रदेश में बनाई अलग पहचान
रमेश कुमार वर्मा की ओर से निर्मित वर्मा ग्रीन वैली फ्रूट नर्सरी ने प्रदेश में अपनी अलग पहचान बनाई है और प्रदेशभर के बागवान उनसे जिरोमाइन, स्कारलेट, सपर, सुपर चीया, गेल गाल नामक विदेशी अच्छी किस्म के सेब के पौधों की खरीद के लिए आ रहे हैं और व्यवसाय में प्रतिदिन बढ़ोतरी होने के साथ सैकड़ों बागवान जुड़ कर अपनी आर्थिकी को दस गुना करने में लगे हैं.
बीच में छोड़नी पड़ी थी 10वीं की पढ़ाई
रमेश कुमार वर्मा को गरीबी के कारण 10वीं कक्षा की पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ी और पिता के साथ परिवार का पालन पोषन करने के लिए रोजगार की तलाश में भटकना पड़ा, लेकिन उसे कोई नौकरी नहीं मिली. अंत में अपने पिता के साथ खेतों में खेतीबाड़ी में जुट गया. इससे कोई ज्यादा मुनाफा नहीं हो रहा था और बड़ी मुश्किल से परिवार का पालन होता था, लेकिन वर्ष 2004 में वह खंड विकास अधिकारी सलूणी के पद पर तैनात राम प्रसाद शर्मा से मिले. उन्होंने रमेश कुमार वर्मा को स्वयं सहायता समूह का गठन कर बेमौसमी सब्जी के उत्पादन करने के लिए प्रेरित किया.
बंद करना पड़ा मशरूम व्यवसाय
रमेश कुमार वर्मा अपने गांव में स्वयं सहायता समूह का गठन कर बैमौसमी सब्जी के उत्पादन के काम में जुट गया और साल में 30 से 40 हजार रुपये की आमदनी प्राप्त करने लगा, लेकिन वह अपनी आय से संतुष्ट नहीं था. इसके बाद सउसने सब्जी से हट कर फ्लोरीकल्चर के व्यवसाय को भी अपनाया और खेतों में रंग बिरंगे पर्यटकों के मन को लुभाने वाले फूल तैयार कर दिल्ली व चंडीगढ़ में बेचकर अपनी साल की आमदनी में 70 से 80 हजार बढ़ोतरी की. रमेश ने वर्ष 2006 में फूलों के साथ मशरूम उत्पादन के व्यवसाय को अपना कर अच्छी आमदनी का जरिया तैयार किया, लेकिन समय पर उसे कम्पोस्ट खाद न मिलने से मशरूम व्यवसाय बंद करना पड़ा.
50 इटली किस्म के सेब के पौधे खरीदे
वर्ष 2010 में बागवानी विभाग के अधिकारी प्रमोद शाह व देवी सिंह से मिलने पर अधिकारियों ने रमेश कुमार वर्मा को बागवानी के प्रति प्रेरित किया. साथ में नर्सरी का काम शुरू करने के लिए विभाग में उसका पंजीकरण भी किया. उसके बाद उसने इटली किस्म के शिमला से 500 रुपये प्रति सेब के 50 पौधे खरीदकर अपने बागवानी व्यवसाय को शुरू किया. वहीं, उद्यान विभाग ने भी एचडीपी के तहत रमेश को अच्छी किस्म के पौधे उपलब्ध करवाएं, जिसे उसने आधे बिधा जमीन में लगाया.