चंबा: जिले के जनजातीय क्षेत्र पांगी में एक पानी के चश्मे की हर बात निराली है. रियासतकाल में राजाओं की पहली पसंद यह पानी, अब यहां आने वाले हर वीआईपी की खातिरदारी में विशेष तौर पर इस पानी को पेश किया जाता है. पांगी घाटी के उपमंडल मुख्यालय किलाड़ से करीब आठ किलोमीटर दूर उर नामक स्थान पर पानी का चश्मा है जिसको तिलमिल पानी के नाम से जाना जाता है. यह स्थान ग्राम पंचायत धरवास में है. यह पानी मिनरल वाटर से कम नहीं है. कई अस्यकों के मिश्रण इसमें मिले हैं , जिसमें तांबा व लोहे समेत कई जड़ी बूटियों का रस भी इसमें मौजूद हैं.
इस पानी की खासियत यह भी है कुछ दिनों तक रखे रखने से इसके स्वाद में किसी प्रकार का कोई फर्क नहीं पड़ता है. पेट की गैस से लेकर श्वास जैसी बीमारियों के लिये यह पानी जाना जाता है. रियासत काल में राजाओं का पसन्दीदा रहा है. जब भी राजा पांगी के दौरे पर आता तो कारदार किलाड़ की कोठी में तिलमिल पानी को मंगवा कर रख देते थे. आज भी जब कोई वीआईपी पांगी के दौरे पर आते हैं तिलमिल पानी को मंगवाया जाता है.
यह पानी मनाली- श्रीनगर नगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर (उर नामक स्थान ) धरवास में है. रियासत काल में आने जाने का रास्ता वही से रहता था. राहगीर इस के रखरखाव का काम करते थे. राजा के आदेश के अनुसार कारदारों को देख रेख करनी पड़ती थी. राहगीरों के ठहरने के लिये दो किलोमीटर पर सराय भवन भी था, जो अब खंडहर में बदल गया है. मनाली श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग बन जाने के कारण लोगो का पैदल आना जाना बंद होने के कारण अब इसका रख रखाब न होने के कारण पानी का पनिहार तक नष्ट हो गया है.