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डिजिटल इंडिया का सच! गांव में सिग्नल नहीं मिला तो 5KM पहाड़ चढ़कर दी ऑनलाइन परीक्षा - चंबा न्यूज

सरकार के डिजिटल इंडिया की हकीकत ये है कि बच्चों को ऑनलाइन परीक्षा देने के लिए अपने गांव से पांच कीलोमीटर की चढ़ाई चढ़कर पहाड़ पर जाना पड़ता है. हिमाचल प्रदेश के जनजातीय क्षेत्र भरमौर के तहत आने वाले मैहला गांव के छात्रों ने अपने सेकंड टर्म की परीक्षा देने के लिए कड़ाके की ठंड में पहाड़ पर जाकर परीक्षा दी.

students gave online exam on top of mountain
students gave online exam on top of mountain

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Published : Dec 9, 2020, 7:47 PM IST

चंबा:दूर पहाड़ की एक चोटी पर चट्टान के नीचे बैठकर ऑनलाइन परीक्षा देते इन नौनिहालों ने डिजिटल इंडिया की हकीकत दुनिया के सामने ला दी है. यहां पढ़ाई करने में रिस्क इतना है कि मोबाइल सिग्नल की तलाश में पहाड़ चढ़कर जाना पड़ता है, ऐसे में अगर पांव फिसल जाए तो जान का खतरा भी है.

पर सियासतदान इस स्थिति से पूरी तरह से बेखबर हैं और यह नौनिहाल शिक्षा हासिल करने के लिए पांच किलोमीटर का पैदल सफर तय कर अपनी सेकंड टर्म की परीक्षाएं दे रहे हैं. यह तस्वीरें सामने आई हैं जनजातीय क्षेत्र भरमौर के तहत आने वाली ग्राम पंचायत खुंदेल और बलोठ के नौनिहालों की.

दरअसल, इन पंचायतों के तहत आने वाले कई गांवों में मोबाइल सिग्नल नहीं होता है. इन दिनों क्षेत्र के नौनिहालों की सेंकड टर्म की परीक्षाएं चल रही हैं. कोरोना माहामारी के चलते हिमाचल सरकार का शिक्षा विभाग ऑनलाइन ही यह परीक्षा ले रहा है.

चट्टान के नीचे ऑनलाइन परीक्षा देते छात्र.

पहाड़ चढ़ने के बाद आता है सिग्नल

इन पंचायतों के शिक्षा ग्रहण कर रहे नौनिहालों के समक्ष परीक्षा देने के लिए भी एक बड़ी चुनौती बन गई है. चूंकि उन्हें सिग्नल तक पहुंचने के लिए पहाड़ की चोटी तक पहुंचना होता है और गांव से पहाड़ी की चोटी पर पहुंचने के लिए पांच किलोमीटर लंबा सफर तय करना पड़ता है.

क्षेत्र में पड़ रही कड़ाके की ठंड के बीच नौनिहाल ऑनलाइन परीक्षा देने के लिए ऊंचे पहाड़ पर कहीं चटटान के नीचे बैठे हैं, तो एक छात्रा पहाड़ की चोटी पर आग जलाकर परीक्षा देने में जुटी हुई है. ये तस्वीरें डिजिटल इंडिया की सच्चाई बयां कर रही हैं.

पहाड़ की चोटी पर परीक्षा देती छात्रा.

सरकार से कई मर्तबा लगा चुके हैं गुहार

ग्राम पंचायत बलोठ के प्रधान रत्न चंद और खुंदेल के प्रधान प्रभाती बताते हैं कि यहां पर मोबाइल सिग्नल की समस्या का हल करने के लिए कई मर्तबा मांग सरकार और प्रशासन के समक्ष उठा चुके हैं. बावजूद इसके अभी तक समस्या का हल नहीं हो पाया है. जिसके चलते इस स्थिति का सामना यहां करना पड़ रहा है.

बता दें कि कोरोना माहामारी के चलते प्रदेश में नौ माह से स्कूलों में कक्षाएं बंद चल रही हैं. इसके चलते सरकार के आदेशों के तहत शिक्षा विभाग ऑनलाइन शिक्षा मुहैया करवा रहा है. इन दिनों पांचवीं कक्षा से लेकर बाहरवीं तक के छात्रों की सेकंड टर्म की परीक्षा चल रही है, जो कि मंगलवार को संपन्न हुई है.

चट्टान के नीचे परीक्षा देते छात्र.

शिक्षा विभाग के घर-द्वार प्रश्न पत्र पहुंचाने के दावे झूठे

रोचक है कि एक तरफ सरकार ने जनजातीय व दुर्गम क्षेत्र के बच्चों के लिए मोबाइल नेटवर्क न हेाने की सूरत में घर-द्वार प्रश्नपत्र और उत्तर पुस्तिकाएं पहुंचाने की बात कही थी, लेकिन इन नौनिहालों की यह तस्वीरें शिक्षा विभाग की व्यवस्था का पूरा सच सामने ला रही हैं. लिहाजा अब शिक्षा विभाग के अधिकारी मामला सामने आने के बाद जांच करने की बात कह रहे हैं.

केंद्र की मोदी सरकार गांव-गांव तक इंटरनेट सुविधा प्रदान करने के लिए वाई-फाई क्रांति ला रही है. इसके लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री वाई-फाई इंटरफेस नाम की योजना भी शुरू की है. बुधवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इस बात पर फैसला लिया गया. इसके तहत एक करोड़ डाटा सेंटर देशभर में खोले जाएंगे.

एक तरफ पहाड़ की ऊंची चोटी पर ऑनलाइन परीक्षा देते बच्चों की ये तस्वीरें और दूसरी तरफ केंद्र सरकार की महत्वकाक्षी योजनाएं. इन दोनों के बीच की खाई पटती नहीं दिखती. देश और प्रदेश की सरकारें बेशक डिजिटल इंडिया की बात करती हों, लेकिन जमीनी स्तर पर लोगों को किस तरह की सुविधाएं मुहैया हो रही हैं, ये तस्वीरें उसका साफ उदाहरण हैं.

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