चंबा:पूरा देश 74 वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. इस आजादी को पाने के लिए लाखों स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राणों को न्योछावर कर दिया. आज अगर हम आजाद भारत में सांस ले रहे हैं, तो उसका श्रेय उन सभी वीर सपूतों को जाता है, जिन्होंने इस मिट्टी के लिए अपना बलिदान दे दिया.
आजादी की लड़ाई में हिमाचल के हजारों लोगों ने स्वतंत्र भारत का सपना देखने के लिए शहादत का जाम पिया है. जिनमें से एक हैं जिला चंबा के बनीखेत से सबंध रखने वाले मोहन सिंह हैं. भले ही मोहन सिंह अब हमारे बीच मौजूद नहीं हैं, लेकिन इस देश के लिए उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता.
मोहन सिंह ने आजाद हिन्द फौज मे शामिल होकर अंग्रेजों के खिलाफ खूब लड़ाई लड़ी. उनके शौर्य और बहादुरी के किस्से आज भी देश के नौजवानों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत हैं. देश को स्वतंत्र करवाने के लिए उन्होंने एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी. करीब दस साल पहले स्वतंत्रता सेनानी मोहन सिंह का बिमारी के चलते देह्नात हो गया था. उसके बाद उनकी पत्नी तारी देवी और उनकी दत्तक पुत्री अपने पति के साथ बनीखेत स्थित अपने घर में आजादी के उन पलों को याद कर गर्व महसूस करती है.