चंबा: ईटीवी भारत की सीरीज रहस्य में एक बार फिर हाजिर हैं हम एक नई कहानी के नए किस्से के साथ. कहते हैं कि कलयुग में मनुष्य द्वारा किए पाप-पुण्यों का लेखा-जोखा यहीं पर होता है. इसके लिए बकायदा कचहरी लगती है और आत्माओं को स्वर्ग या नरक में भेजने का फैसला होता है.
हमारी खास पेशकश में आज हम बात करेंगे संसार के इकलौते माने जाने वाले भरमौर के धर्मराज मंदिर के बारे में. हिमाचल प्रदेश में चंबा जिले के उपमंडल मुख्यालय भरमौर स्थित चौरासी मंदिर परिसर में मौजूद संसार के इकलौते धर्मराज मंदिर के बारे में कहा जाता है कि हर एक इंसान को जीते जी नहीं, तो मौत के बाद हर किसी को इस मंदिर में हाजिरी देनी ही पड़ती है.
मान्यता है कि मौत के बाद हर एक शख्स को यहां हाजिरी भरनी ही पड़ेगी. इंसान के मरने के बाद यहां बकायदा कचहरी लगेगी और आपको जीवन में कमाए पाप-पुण्यों का हिसाब-किताब भी देना पड़ेगा. मौत के देवता का फैसला आने के बाद ही तय होगा कि आपको किस दरबार से होकर स्वर्ग या नर्क में जाना है.
धर्मराज महाराज या मौत के देवता के मंदिर को लेकर कुछ ऐसी ही मान्यता है. मान्यता है कि धर्मराज महाराज के इस मंदिर में मरने के बाद हर किसी को जाना ही पड़ता है चाहे वह आस्तिक हो या नास्तिक. इस मंदिर में एक खाली कमरा है जिसे चित्रगुप्त का कमरा माना जाता है. चित्रगुप्त जीवात्मा के कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं.
जब किसी प्राणी की मृत्यु होती है तब धर्मराज महाराज के दूत उस व्यक्ति की आत्मा को पकड़ कर सबसे पहले इस मंदिर में चित्रगुप्त के सामने प्रस्तुत करते हैं. चित्रगुप्त जीवात्मा को उनके कर्मों का पूरा लेखा-जोखा देते हैं. इसके बाद चित्रगुप्त के सामने के कक्ष में आत्मा को ले जाया जाता है. इस कमरे को धर्मराज की कचहरी कहा जाता है. यहां पर यमराज कर्मों के अनुसार आत्मा को अपना फैसला सुनाते हैं.