चंबा:हिमाचल प्रदेश अपनी लोक संस्कृति और पुरानी संस्कृति को सहेजने के लिए मशहूर है. यहां पर अलग-अलग तरह की संस्कृति और कला को संजोए हुए कई कलाकार पिछले कई दशकों से काम कर रहे हैं. चंबा की स्वर्णा देवी भी इन्हीं में से एक हैं.
घोड़े के बालों से चूड़ियां बनाती है स्वर्णा
प्रदेश के कुछ लोगों की बदौलत प्रदेश के अलग-अलग जिलों की कला और संस्कृति जिंदा है, लेकिन कई कलाएं ऐसी हैं जो सरकार की अनदेखी का शिकार हो रही हैं और धीरे-धीरे अब दम तोड़ने लगी हैं. चंबा जिले के चरपट मोहल्ला की स्वर्णा देवी हुनर की बेताज बादशाह हैं. वह घोड़े के बालों से चूड़ियां और अंगूठी-कंगन बनाने का काम करीब 30 सालों से कर रही हैं. यह काम स्वर्णा देवी ने अपनी मां से सीखा था जो 70 के दशक में बेहतरीन काम कर रही थीं. हालांकि सरकार की ओर से उनकी मां को 1985 में एक प्रशिक्षण संस्थान भी दिया गया था, लेकिन बाद में वह बंद हो गया और इसकी और किसी का ध्यान नहीं गया.
कैसे बनती है घोड़े के बालों से चूड़ियां
चूड़ी बनाने के लिए घोड़े के डेढ़ से 2 फीट लंबे बाल होने चाहिए. इन बालों के साथ-साथ चूड़ी बनाने के लिए बांस की लकड़ी की जरुरत होती है. बांस की लकड़ी को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटा जाता है. फिर इन्हें कंगन का आकार दिया जाता है. इसके बाद घोड़े के अलग-अलग रंगों के बालों को बांस के टुकड़ों पर बुना जाता है और इसी तरह चूड़ी बनकर तैयार हो जाती है. हालांकि अब घोड़ों के बाल की कमी होने से इस काम को करना टेढ़ी खीर जैसा साबित हो रहा है. बावजूद इसके स्वर्णा देवी जैसे तैसे करके कुछ बाल इकट्ठे करती हैं और आने वाली युवा पीढ़ी को इस कला के साथ जोड़ रही हैं.