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मां के एक जवाब ने बेटे को कर दिया ऐसा भावुक, नौकरी छोड़ स्कूटर पर भारत भ्रमण कराने निकला 'श्रवण कुमार' - D Krishna Kumar went on trip to India with mother

इस कलयुग में मां-बाप को वृद्धा आश्रम भेजने वाले बेटे-बहू की कहानी आपने खूब देखी होगी, लेकिन मैसूर के डी कुमार कृष्ण अपनी मां की खुशी के लिए पिछले पांच सालों से स्कूटर पर भारत भ्रमण के लिए निकल पड़े हैं. मां-बेटे की ये दिल छू लेने वाली कहानी पढ़कर आप भी कह उठेंगे ये तो कलयुग का श्रवण कुमार है. पढ़िए पूरी खबर...

Shravan Kumar of Kalyug
नौकरी छोड़ स्कूटर पर भारत भ्रमण कराने निकला 'श्रवण कुमार'

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Published : Jun 22, 2023, 4:35 PM IST

नौकरी छोड़ स्कूटर पर भारत भ्रमण कराने निकला 'श्रवण कुमार'

भरमौर:आप सबने श्रवण कुमार की कहानी जरूर सुनी होगी. श्रवण कुमार अपने माता-पिता के सच्चे भक्त थे. वे अपने कंधों पर अंधे माता-पिता को लेकर यात्रा करते थे, लेकिन क्या आपने कभी कलयुण में ऐसा श्रवण कुमार देखा है. शायद आपका जवाब होगा नहीं, लेकिन हम आपको एक ऐसे शख्स से मिलाने जा रहे हैं, जिसे देखकर आप भी उन्हें कलयुग का श्रवण कुमार कहने को मजबूर हो जाएंगे.

मां को लेकर भारत भ्रमण पर निकला बेटा: ये कहानी से एक ऐसे शख्स की, जो अपनी मां की खुशी के लिए पिछले 5 सालों से एक स्कूटर पर भारत भ्रमण पर निकल पड़ा है. चेहरे पर सफेद दाढ़ी और लंबी कद काठी वाले इस शख्स की कहानी सुनकर अगर इसे कलयुग का श्रवण कुमार कहा जाए तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी. स्कूटर पर भारत भ्रमण पर निकला मैसूर का डी कृष्ण कुमार अपनी मां चूड़ा रत्नम्मा के साथ कई राज्यों से होता हुआ जिला चंबा के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल चौरासी मंदिर परिसर पहुंचे. यहां मंदिरों में दर्शन कर दोनों ने भगवान का आशीर्वद लिया.

मां का जवाब सुन डी कृष्ण ने लिया फैसला: डी कृष्ण कुमार अपनी मां के साथ अब तक 71,555 किलोमीटर की यात्रा कर चुके हैं. इस यात्रा के पीछे की कहानी इतनी दिलचस्प है कि, उसे सुनकर हर कोई शख्स भावुक हो जाता है. मैसूर के 44 वर्षीय दक्षिणामूर्ति कृष्ण कुमार (डी कृष्ण कुमार) की अपनी मां को जीवन की हर खुशी देने के लिए स्कूटर पर भारत भ्रमण करा रहे हैं. पिता की मृत्यु होने के बाद डी कृष्ण कुमार ने एक बार अपनी मां से प्रश्न किया कि क्या आपने मैसूर में कौन-कौन से मंदिर देखे हैं. सवाल सुनकर 73 वर्षीय मां चूड़ा रत्नम्मा ने जबाव दिया कि बेटा मेरा जीवन तो चहारदीवारी में अपने परिवार की जिंदगी संवारते हुए बीता है. मैंने तो अपने मोहल्ले तक का मंदिर नहीं देखा.

जॉब छोड़ मां के साथ तीर्थ दर्शन पर निकला बेटा: मां के इस जवाब ने ही एक बेटे को सोचने पर मजबूर कर दिया. डी कृष्ण कुमार ने कारपोरेट टीम लीडर की जॉब छोड़कर 16 जनवरी 2018 में स्कूटर पर अपनी मां के साथ यात्रा शुरू की. अब तक वे 71,555 किलोमीटर की यात्रा कर चुके हैं. बुधवार को उन्होंने उत्तर भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल चौरासी मंदिर परिसर के मंदिरों में मां के साथ मत्था टेका और पूजा अर्चना की. इस दौरान ईटीवी भारत से बातचीत में डी कृष्ण कुमार ने बताया कि वे नेपाल, भूटान की यात्रा भी अपनी मां के साथ कर चुके हैं. इसके साथ ही मां को देश के विभिन्न तीर्थ स्थलों का भी भ्रमण करवा चुके हैं.

मां संग भरमौर पहुंचा 'श्रवण कुमार': सफर के पड़ाव में वह बुधवार को भगवान भोलेनाथ की नगरी भरमौर पहुंचे. कृष्ण कुमार बताते हैं कि वह एक पुरानी स्कूटर पर मां के साथ यात्रा कर रहे हैं, जो उनके पिताजी ने गिफ्ट किया था. वह कहते हैं कि स्कूटर पिताजी की मौजूदगी का एहसास दिलाती है. कृष्ण कुमार कहते हैं कि "मां के चरणों में स्वर्ग है, मैं उस जीवन को जी रहा हूं. मां के साथ रहना, सेवा करना और उनकी इच्छा पूरी करना, यही मेरे जीवन का उद्देश्य है. माता पिता बोलने वाले भगवान हैं, जो हमेशा हमारे साथ रहते हैं. उनकी जीते जी सेवा करें, कम से कम दिन में आधा घंटा बैठकर बात जरूर करें. ऐसा करने से माता-पिता को तो खुशी मिलेगी ही, आपको भी आत्म संतुष्टि व खुशी महसूस होगी."

'ऐसा बेटा पाकर मैं धन्य हूं': वहीं, जब ईटीवी भारत ने डी कृष्ण कुमार की मां से बातचीत की तो उन्होंने कहा "मेरा जीवन रसोई और घर में ही बीता है. मेरे बेटे ने मुझे देश दुनिया की सैर कराई. तीर्थों के दर्शन कर जीवन को सार्थक बनाया. पहले मुझे खिलाता है, फिर खुद खाता है. दिन-रात सेवा करता है, मैं ऐसा बेटा पाकर मैं धन्य हूं."

13 सालों की कमाई मां के अकाउंट में डाला: उन्होंने बताया कि कोरोना काल में उनका सफर अचानक थम गया. वह मैसूर से 2,673 किलोमीटर दूर भूटान में थे. आहिस्ता-आहिस्ता कोरोना खत्म हुआ और 15 अगस्त 2022 को उन्होंने अपनी यात्रा का दूसरा चरण शुरू किया. इस दौरान केरल से मंदिर-मंदिर घूमते हुए वह अपनी मां के साथ नेपाल पहुंच गए. सबसे बड़ी बात की मां की सेवा के लिए इस शख्स ने शादी तक नहीं की. कृष्ण कुमार कन्नड़, तेलुगू, मलयालम, हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं के जानकार हैं. बड़ी बात यह है कि इस शख्स ने अपनी 13 साल की नौकरी में जो कुछ कमाया वह सब मां के अकाउंट में जमा है.
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