चंबा: कहते हैं हौसले बुलंद हो तो मंजिलें खुद ब खुद मिल जाती हैं. यही कारनामा भरमौर के संचुई से सबंध रखने वाले डॉ. जनक राज ने कर दिखाया है. जनक राज का बचपन काफी गरीबी हालत में बीता है, लेकिन बचपन से पढ़ाई के लिए होशियार जनक राज की प्राथमिक शिक्षा प्राथमिक पाठशाला संचुई से हुई. जनक राज ने अपनी काबिलियत के दम से नवोदय में दाखिला लिया. इसके बाद पीएमटी की परीक्षा पास करने के बाद एमबीबीएस किया. उन्होंने एमबीबीएस करने के बाद शिमला समेत प्रदेश के अलग अलग जगहों पर नौकरी की. इसके बाद जनक राज ने न्यूरोसर्जरी में मास्टरी हासिल की. डॉ. जनकराज न्यूरोसर्जन होने के साथ उन्हें आईजीएमसी का एमएस का कार्यभार भी देखने को मिला है. प्रदेश के इतने बड़े अस्पताल का एमएस होना गर्व की बात हैं.
बचपन गरीबी में बीता लेकिन काबिलियत के दम पर हासिल किया ये मुकाम, जानें भरमौर से सबंध रखने वाले इस व्यक्ति की कहानी
जनक राज का बचपन काफी गरीबी हालत में बीता है, लेकिन बचपन से पढ़ाई के लिए होशियार जनक राज की प्राथमिक शिक्षा प्राथमिक पाठशाला संचुई से हुई. जनक राज ने अपनी काबिलियत के दम से नवोदय में दाखिला लिया. इसके बाद पीएमटी की परीक्षा पास करने के बाद एमबीबीएस किया
ईटीवी से बातचीत करते हुए डॉ. जनकराज ने कहा कि परिवार ने हमेशा उनका सहयोग किया और आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती रहती हैं. उन्होंने कहा कि आज इस मुकाम पर पहुंचने का कारण मेरे मां बाप के बाद मेरा समाज और मेरे गुरुजन शामिल हैं. चंबा के युवाओं से यही कहना चाहता हूं कि कोई चीज छोटी या बड़ी नहीं होती बस उसे पाने का जूनून होना चाहिए. किसी भी लक्ष्य को हासिल करने के लिए उस लक्ष्य का पीछा करना पड़ता है, तभी आपको मंजिल मिल सकती है.
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