भरमौर:मणिमहेश यात्रा में शाही स्नान से पहले डल तोड़ने की परंपरा को निभाने के लिए संचूई के शिव चेले मंगलवार को निकल पडे़. पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुनों पर भगवान भोले नाथ के उदघोष लगाते हुए चेले चौरासी परिसर पहुंचे और यहां स्थित शिवलिंग पर माथा टेका. इस दौरान शिव चेलों ने चौरासी परिसर स्थित प्राचीन शिव मंदिर के चबूतरे पर डेरा जमा लिया है और यहां पर यात्रियों को शाही स्नान में जाने की अनुमति प्रदान कर रहे है. बताया जा रहा है कि बुधवार को भी शिव चेले चौरासी में यात्रियों को मणिमहेश यात्रा पर जाने की अनुमति प्रदान करेंगे. जिसके बाद गुरुवार सुबह वह चौरासी परिसर में पारंपरिक रस्मों को निभाने के बाद हड़सर होते हुए अपने अगले पड़ाव की ओर रवाना हो जाएंगे.
दरअसल, विभिन्न पड़ावों से होते हुए वह 22 सितंबर को डल झील पर पहुंच कर एक बजे से पहले डल तोड़ने की सदियों से चली आ रही परंपरा का निर्वाहन करेंगे. बता दें कि मणिमहेश यात्रा में खासकर पड़ोसी राज्य जम्मू-कश्मीर के भद्रवाह और डोडा समेत अन्य हिस्सों से आने वाले यात्री संचूई के शिव चेलों से अनुमति के बाद ही डल झील की ओर रूख करते हैं. फिलहाल शिव चेलों के चौरासी परिसर में डेरा जमाते हुए यात्रा पर जाने की अनुमति लेने के लिए यात्रियों की यहां पर भीड़ उमड़ आई है. वहीं, मंदिर में भी दर्शनों के लिए यात्रियों की कतारें लगी हुई है.
बता दें कि मणिमहेश यात्रा में डल तोड़ने की रस्म निभाने के बाद ही राधा अष्टमी पर्व का शाही स्नान डल झील में आरंभ होता है. अहम बात यह है कि डल तोड़ने की इस परंपरा को देखने के लिए हजारों की तादाद में एक साथ श्रृद्धालुओं की भीड़ झील पर उमड़ती है.
मणिमहेश यात्रा में पंजीकृत यात्रियों का आंकड़ा 70 हजार के पार: उतर भारत की प्रसिद्व मणिमहेश यात्रा में रजिस्ट्रेशन करवाने वाले शिवभक्तों का आंकड़ा सोमवार शाम तक 70 हजार को पार कर गया है. मणिमहेश मंदिरन्यास के सदस्य सचिव एवं एसडीएम भरमौर कुलवीर सिंह राणा ने बताया कि सोमवार शाम तक मणिमहेश यात्रा के लिए कुल पंजीकृत श्रद्वालुओं का आंकड़ा 70860 तक पहुंच गया है. जबकि पंजीकरण शुल्क के रूप में 1417200 रूपयों का राजस्व मणिमहेश मंदिर न्यास को प्राप्त हुआ है. उन्होंने बताया कि सोमवार शाम तक के आंकड़े के तहत 9089 यात्री मणिमहेश यात्रा पर है.