चंबा रुमाल को नई पहचान दे रही हिमाचल की ये बेटी, 3 बार राष्ट्रपति के हाथों हो चुकी हैं सम्मानित
हिमाचल के चंबा जिला की बेटी ललिता वकील ने सरकारी नौकरी की चाह छोड़ कर कला के संरक्षण और संवर्धन का जिम्मा उठाया है. इस बेजोड़ कला को देश-दुनिया में पहचान दिलाने के लिए ललिता तीन बार राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित हो चुकी हैं.
चंबा: हौसले बुलंद हो तो मुकाम मिल ही जाता है. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है हिमाचल के चंबा जिला की बेटी ललिता वकील ने. हुनर की धनी ललिता वकील ने सरकारी नौकरी की चाह छोड़ कर कला के संरक्षण और संवर्धन का जिम्मा उठाया है. बता दें कि चंबा रूमाल को देश-विदेश में ख्याति दिलाने के लिए ललिता को तीन बार राष्ट्रपति अवॉर्ड मिल चुका है. गरीब घर में पैदा हुई होनहार बेटी की शादी चंबा में डॉक्टर फैमिली में हुई ललिता के पति पेशे से डॉक्टर हैं और उन्होंने कभी भी ललिता को चंबा रुमाल के कार्य में नहीं रोका.आज चंबा रुमाल किसी पहचान का मौहताज नहीं है. चंबा रुमाल को वर्ल्ड फेमस करने का श्रेय माहेश्वरी देवी के बाद ललिता वकील को जाता है. इस बेजोड़ कला को देश-दुनिया में पहचान दिलाने के लिए ललिता तीन बार राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित हो चुकी हैं.
ललिता वकील को हाल ही में नारी शक्ति पुरस्कार 2018 से नवाजा गया है. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार ने महिला दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें सम्मानित किया. ललिता वकील चंबा की अकेली महिला हैं, जिन्हें तीसरी बार भारत सरकार ने राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा है.इससे पहले ललिता को 1993 में तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा से राष्ट्रीय पुरस्कार नवाजा था. 2012 में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शिल्प गुरु सम्मान दिया. ये सम्मान पाने वाली ललिता इकलौती हिमाचली हस्तशिल्पी हैं. 2017 में महिला एवं बाल विकास विभाग के सौजन्य से मेनका गांधी ने अंतरराष्ट्रीय क्राफ्ट अवॉर्ड महिला गुरु के तौर पर दिया.चंबाकी इस होनहार बेटी ने ये कला गरीब और बेसहारा महिलाओं को भी सिखाई, ताकि वो भी अपनी आजीविका कमाकर आत्मनिर्भर बन सके. ललिता वकील का कहना है कि उन्हें चंबा रुमाल को बुलंदियों तक पहुंचाने में परिवार का पूरा सहयोग रहा है. उन्होंने कहा कि उन्हें खुशी है कि चंबा रुमाल आज दुनिया भर में ख्याति पा चुका हैं.