हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

ETV Bharat / state

ये है उत्तर भारत का पहला पावर हाऊस, 110 साल पहले हुआ था निर्माण - hydel power generation

राजा भूरी सिंह ने 1908 में चम्बा में 450 किलोवाट यानी आधा मेगावाट बिजली उत्पादन की ठानी. राजा भूरी सिंह की मेहनत रंग लाई और चम्बा के बालू समीप 450 किलोवाट का पावर हाउस लगाया गया.

उत्तर भारत का पहला पावर हाऊस

By

Published : Mar 21, 2019, 6:24 AM IST

चंबा: आज भी देश के कई हिस्सों में बिजली नहीं पहुंच पाई है, लेकिन चंबा में आज से 100 साल पहले ही लालटेन और मोमबती युग खत्म हो गया था. 1908 में चंबा की पहाड़ियां बिजली से टिमटिमा रही थीं. कहते हैं किसी देश या रियासत का विकास उसके राजा की सोच पर निर्भर करता है, ऐसे में चंबा के राजा भूरी सिंह को कौन भूल सकता है.

उत्तर भारत का पहला पावर हाऊस

राजा भूरी सिंह ने 1908 में चम्बा में 450 किलोवाट यानी आधा मेगावाट बिजली उत्पादन की ठानी. राजा भूरी सिंह की मेहनत रंग लाई और चम्बा के बालू समीप 450 किलोवाट का पावर हाउस लगाया गया. उस दौरान सड़कें नहीं थी ना ही यातायात के साधन मौजूद नहीं थे. ऐसे में बड़ी-बड़ी टरबाइन मशीनों को उठाकर पैदल यात्रा करते हुए अंबाला से चंबा पहुंचाया गया. सोचकर ही हिम्मत जवाब दे देती है कि अंबाला से चंबा तक कई टन वजनी टरबाइन मशीनों को उठाकर पैदल सफर करना है. आखिरकार परिस्थितियों से लड़ते हुए चंबा में बिजली पहुंची. चंबा में भारत का पहला और एशिया का दूसरा हाइड्रो पावर स्टेशन स्थापित हुआ.
जब देश के महानगरों में भी बिजली नहीं होती तब इस प्रोजेक्ट से चम्बा शहर को बिजली मिली और अपने जमाने में चम्बा शहर को स्मार्ट सिटी कहा जाता था, लेकिन आज हालात बदल गए है सरकार की अनदेखी के चलते इस पावर हाउस को निजी कंपनी को देना पड़ा और आजकल निजी कंपनी इस पावर हाउस को चला रही हैं. सरकार के पास अपने हेरिटेज को बचाने के लिए भी पैसे नहीं हैं.
उत्तर भारत का पहला पावर हाऊस

चम्बा जिला 1908 में ही बिजली उत्पादन शुरू कर दिया. चंबा पर्यटन और पावर प्रोजेक्ट से प्रदेश को करोड़ों का रेवन्यु देता है, लेकिन हुक्मरानों और सरकार की अनदेखी के चलते सबसे प्रगतिशील जिला चंबा 100 साल के बाद देश के 115 पिछड़े ज़िलों में शामिल हो गया.

ABOUT THE AUTHOR

...view details