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चंबा: कुठेड़ हाइड्रो प्रोजेक्ट के खिलाफ सीटू का प्रदर्शन, बजट सत्र के दौरान संसद भवन घेरने की तैयारी

कुठेड़ हाइड्रो प्रोजेक्ट के खिलाफ देशव्यापी आह्वान के तहत चंबा में सीटू ने भी प्रदर्शन किया. वहीं, बजट सत्र के दौरान संयुक्त ट्रेड यूनियन के बैनर तले देशभर के मजदूर दिल्ली में संसद का घेराव करेंगे इसमें चंबा के मजदूर भी शामिल होंगे. पढ़ें पूरी खबर... (kuther hydro project)

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Published : Dec 2, 2022, 7:27 PM IST

चंबा: उपमंडल भरमौर में रावी नदी पर निर्माणाधीन कुठेड़ हाइड्रो प्रोजेक्ट का विरोध जारी है. वर्कर्स यूनियन संबंधित सीटू और सीटू जिला कमेटी ने गरोला स्थित परियोजना स्थल पर मजदूरों की मांगों को लेकर गेट मीटिंग और प्रदर्शन किया. अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन की संयुक्त समन्वय कमेटी और सीटू केंद्र के आह्वान पर यह आयोजन किया गया. (kuther hydro project in Chamba) (CITU protest in Chamba)

चंबा में हाइड्रो प्रोजेक्ट के खिलाफ CITU का प्रदर्शन: इस दौरान मजदूरों की मांगों और केंद्र सरकार द्वारा लेबर कोड के खिलाफ यूनियन के पदाधिकारियों एवं सीटू महासचिव सुदेश ठाकुर ने भी मजदूरों को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि यह समय मजदूर जमात के लिए व मजदूर आंदोलन के लिए चुनौती भरा समय है. मजदूर जमात इसका डटकर मुकाबला करेगा. मजदूरों की लड़ाई अपने प्रबंधन के खिलाफ है, जो श्रम कानून के तहत आते अधिकारों को लागू नहीं कर रहा है. जिससे मजदूरों में असंतोष पैदा हो रहा है.

वाजिब वेतन दिए जाने की मांग:उन्होंने कहा का सरकारों द्वारा श्रम कानूनों को बदलकर पूंजीपतियों के पक्ष में बनाने से आने वाले समय में मजदूरों का शोषण दमन बढ़ेगा और बंधुआ मजदूरी सरेआम करवाई जाएगी. परियोजना में ठेका प्रथा के चलते मजदूरों का ठेकेदार बड़े पैमाने पर शोषण कर रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि ठेके में कार्यरत मजदूरों को उनका पूरा वेतन नहीं दिया जाता और न ही ट्रेड के आधार पर उनके काम के आधार पर वेतन दिया जा रहा.

श्रम कानून की अवहेलना:मजदूरों का आरोप है कि उनके रहने की ठहरने की कोई व्यवस्था नहीं है. साथ ही कानून के त्योहारों की छुट्टी, साप्ताहिक, अर्जित व मेडिकल अवकाश को भी कोई ठेकेदार लागू नहीं कर रहा है. जिसके चलते बड़े पैमाने पर मजदूरों का शोषण हो रहा है. उन्होंने कहा कि सीटू से संबंधित यूनियन लगातार पिछले 1 वर्ष से मजदूरों की इन मांगों और श्रम कानूनों को लागू करवाने की लड़ाई लड़ रही है. जिससे कुछ मजदूरों को राहत मिली है, तो कुछ लोगों को अभी भी उनके अधिकार से वंचित रखा जा रहा है.

संसद भवन घेरने की तैयारी:उन्होंने बताया कि यूनियन ने फैसला लिया है कि कंपनी प्रबंधन के साथ फिर से उनकी तमाम मुश्किलों को उनकी मांगों को उठाया जाएगा और यदि कंपनी प्रबंधन उनकी मांगों पर जल्दी फैसला नहीं लेता है, तो यूनियन मजबूरी में आंदोलन जैसा रास्ता अपनाने पर मजबूर होगी. जिसका जिम्मेदार कंपनी प्रबंधन होगा. केंद्र सरकार की मजदूर विरोधी नीति के खिलाफ पूरे देश के आंदोलन के साथ जिला के अंदर मजदूर आंदोलन को और तेज किया जाएगा. साथ ही आने वाले समय में बजट सत्र के दौरान दिल्ली में होने वाले केंद्रीय ट्रेड यूनियन के संसद मार्च में भी बड़े पैमाने पर जिला चंबा से भी भागीदारी की जाएगी.

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