चंबा: जिले के कबाइली क्षेत्र पांगी को जिला मुख्यालय से जोड़ने वाले चंबा-पांगी वाया साच पास मार्ग यातायात के लिए खोल दिया गया है. इसी के साथ साढ़े चौदह हजार फुट की ऊंचाई वाले साच पास पर वाहनों की आवाजाही भी शुरू हो गई है.
मार्ग बहाली की राह में मौसम लगातार खलनायक बनता रहा, लेकिन लोक निर्माण विभाग ने मौसम को मात देते हुए सड़क खोल दी. लिहाजा अब पांगी घाटी की जनता को जिला मुख्यालय चंबा तक पहुंचने के लिए लंबा सफर भी तय नहीं करना पड़ेगा.
बता दें कि पांगी घाटी के लिए साच पास केअलावा वाया जम्मू-कश्मीर या फिर हेलीकॉप्टर ही आने-जाने का साधन है. सर्दियों में पांगी घाटी में भारी बर्फबारी के बाद पूरा इलाका करीब छह माह के लिए शेष विश्व से पूरी तरह से कट जाता है.
वहीं, 14,500 फुट की उंचाई पर स्थित साच पास पर भी भारी हिमपात होता है. गर्मियों की दस्तक के बाद ही चंबा-पांगी वाया साच पास मार्ग को यातायात के लिए बहाल करने में कार्य लोक निर्माण विभाग की ओर से शुरू कर दिया जाता है. वहीं, इस बार भी समय रहते घाटी की लोगों की सुविधा के लिए विभाग ने मशीनरी लगाकर सड़क से बर्फ हटाने का कार्य युद्वस्तर पर आरंभ कर दिया था.
बड़ी बात है कि रोहतांग पास के मुकाबले साच पास की अधिक ऊंचाई है और वहां पर सड़क बहाली का कार्य बीआरओ के कंधों पर रहता है. लिहाजा लोक निर्माण विभाग सीमित संसाधनों और बड़ी मशीनरी के बिना भी साच पास को रिकॉर्ड समय में बहाल कर दिया.
बता दें कि मौजूदा समय में पांगी घाटी के लोगों को सैकड़ों किलोमीटर लंबा सफर तय कर जेएंडके या फिर वाया रोहतांग होकर सफर करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. वहीं, साच पास पांगी घाटी के लोगों के लिए जिला मुख्यालय चंबा तक पहुंचने का सबसे छोटा रास्ता है.
वहीं, अधिशाषी अभियंता लोक निर्माण विभाग जीत सिंह ठाकुर का कहना है कि साच पास इस साल एक माह पहले ही खोल दिया है. वहीं, पहले यह जून लास्ट या फिर जुलाई के पहले सप्ताह में खुलता था. उन्होंने कहा कि दोनों तरफ कर्मचारियों की तैनाती की गई थी और अधिकारी भी कैंप लगाकर मौके पर मौजूद रहे.
जीत सिंह ठाकुर ने कहा कि साच पास में काफी अधिक संख्या में 15 से 20 फुट ऊंचे ग्लेशियर होते हैं, लेकिन कर्मचारियों ने कड़ी मेहनत कर इसे हल्के वाहनों के लिए खोल दिया है और अब 15-20 दिनों में इसे बस के लिए भी बहाल कर दिया जाएगा. चंबा से किलाड़ की 172 किलोमीटर की दूरी है और इसे तय करने में आठ घंटे का समय लग जाता है.
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