चंबा: हिमाचल में शादी हर समुदाय के लिए एक सामुहिक उत्सव की तरह होती है. हिमाचली शादी में आपको अलग-अलग जगह बहुत सी रस्में देखने को मिलती हैं. जैसे किन्नौर में सात फेरे न होना. चंबा जिला के भरमौर क्षेत्र में दो परिवारों के बीच शादी से पहले चौरासी परिसर में शिव मंदिर के चबूतरे पर एक लिखित समझौता होता है. कुंडलिया मिलने के बाद वर और वधु पक्ष के पंडितों और परिजनों की मौजूदगी में ये लिखित समझौता होता है. गद्दी भाषा में समझौते को लखणोतरी कहां जाता है. लखरणोतरी को स्थानीय भाषा में ही लिखा जाता है. ये लिखित समझौता दोनों पक्षों को दिया जाता है. इसे विवाह का लिखित दस्तावेज भी माना जाता है.
शादी वाले घर में किसी भी तरह की अनहोनी होने के बाद भी तय समय और तिथि पर ही बारात आती है और पूरे रिति रिवाज के साथ विवाह समपन्न होता है. मानयता है कि अगर किसी भी कारण से विवाह को रोक दिया जाता है तो दोनों परिवारों को भगवान भोले नाथ के क्रोध का सामना करना पड़ता है.