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चंबा की इस पंचायत में सड़क सुविधा से वंचित हैं लोग, यहां पालकी के सहारे है जिंदगी - gram panchayat Shalelabadi

आज भी चंबा जिले के कई गांव ऐसे हैं जहां सड़क सुविधा नहीं होने के चलते लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. इसी के चलते चंबा जिला के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत शालेलाबाडी के करीब आधा दर्जन गांव में सड़क सुविधा नहीं होने से लोगों को पालकी के सहारे सड़क तक पहुंचाना पड़ता है.

gram panchayat Shalelabadi, ग्राम पंचायत शालेलाबाडी
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Published : May 29, 2021, 6:45 PM IST

चंबा: हिमाचल प्रदेश सरकार लोगों को बेहतर सड़क सुविधाएं देने के दावे तो करती है, लेकिन आज भी चंबा जिले के कई गांव ऐसे हैं जहां सड़क सुविधा नहीं होने के चलते लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. इसी के चलते चंबा जिला के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत शालेलाबाडी के करीब आधा दर्जन गांव में सड़क सुविधा नहीं होने से लोगों को पालकी के सहारे सड़क तक पहुंचाना पड़ता है.

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इसके अलावा गर्भवती महिलाओं को भी पालकी या चारपाई के सहारे सड़क तक पहुंचाने के लिए लोगों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है. कई बार लोगों ने सरकार और प्रशासन से मांग की है, लेकिन कोई लाभ नहीं मिला.

आजादी के सात दशकों के बाद भी सड़क नहीं

यही कारण है कि अब लोगों ने हिमाचल प्रदेश की जयराम सरकार से मांग करते हुए कहा है कि शालेला बाडी पंचायत के उन गांव को भी सड़क सुविधा के साथ जोड़ने का प्रयास करें जो आजादी के सात दशकों के बाद भी नहीं जुड़ पाए हैं.

इसी विधानसभा क्षेत्र से विधानसभा उपाध्यक्ष भी हैं

हालांकि इसी विधानसभा क्षेत्र से विधानसभा उपाध्यक्ष भी हैं, लेकिन शायद उनको लोगों की समस्याओं से कोई लेना देना नहीं है. कई बार उन्होंने लोगों को आश्वासन दिए हैं, लेकिन उसके बावजूद भी सड़क नहीं मिल पाना लोगों के साथ खिलवाड़ जैसा है.

विधानसभा उपाध्यक्ष हंस राज का है विधान गृह क्षेत्र हिमाचल प्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष हंसराज भी इसी विधानसभा क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं और इनसे भी लोगों ने कई बार मांग की है और हर बार उन्हें इनकी तरफ से आश्वासन ही दिए गए हैं, लेकिन लोगों की मजबूरी यह बन गई है कि जब कोई बीमार होता है तो उसे चारपाई के सहारे सड़क तक पहुंचाना पड़ता है.

क्या कहते हैं स्थानीय युवा

दूसरी ओर इस पंचायत के युवाओं का कहना है कि वह कई बार सरकार प्रशासन और विधायक से भी मांग कर चुके हैं, लेकिन उनकी मांग को हर बार अनसुना किया गया है. आज भी जब कोई बीमार होता है तो उसे पालकी के सहारे आना ले जाना पड़ता है. जिसके चलते लोगों के मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं.

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