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बारिश में हर साल दरकने वाली पहाड़ियों पर लगेंगे सेंसर, हादसे से पहले ही मिल जाएगी चेतावनी

बरसात के समय होने वाले हादसों को रोकने के लिए प्रदेश सरकार 8 से 20 जगहों पर सेंसर लगा रही है.जैसे ही पहाड़ी में हल्की सी हलचल होगी सेंसर की सहायता से सड़क किनारे लगी ट्रैफिक लाइट में रेड सिग्नल आ जाएंगे.

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Published : Jun 26, 2019, 12:02 PM IST

Updated : Jun 26, 2019, 12:55 PM IST

शिमला: राज्य सरकार ने प्रदेश भरे 18 से 20 ऐसे जगहों को चिन्हित किया है, जहां बरसात के समय में पहाड़ियां दरकती है. ऐसे जगहों पर होने वाले हादसों को रोकने के लिए प्रदेश सरकार आईआईटी मंडी के साथ मिलकर इन स्थानों पर सेंसर लगा रही है. जैसे ही पहाड़ी में हल्की सी हलचल होगी सेंसर की सहायता से सड़क किनारे लगी ट्रैफिक लाइट में रेड सिग्नल आ जाएंगे. जिससे यात्री सावधान हो सकेंगे और समय पर ट्रैफिक रोका जा सकेगा.

सेंसर सिस्टम के लिए इन स्थानों का हो चुका है चयन

प्रदेश में गुम्मा, ट्रानहैम, पंडोह, दियोडी, हणोगी माता, थलौट, द्वादा, जंगीरूग, रेणुका-दोसड़का, बिडोलिया अलटरनेट, गरफा डाउनहिल, गरफा, गरफा अपहिल, उरला-1, उरला-2, हणोगी डिपरसेटिड, स्प्रींकलर, नारला, कोटरोपी अपहिल और कोटरोपी डाउनहिल में सड़क किनारे पहाड़ियों पर सेंसर फिट किए जाएंगे.

ओंकार चंद शर्मा, प्रधान सचिव, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन

बता दें कि पिछले दिनों जिला किन्नौर में चलती बाइक पर चट्टान गिरने से दो व्यक्तियों की मौत हो गई थी. मंगलवार को भी किन्नौर के काशंग नाले के पास एनएच-5 पर पहाड़ी से चट्टान आ गिरी थी. गनीमत ये रही कि इस घटना में किसी को नुकसान नहीं पहुंचा.

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वहीं, सूबे में मानसून के दौरान भारी बारिश से उत्पन्न होने वाली समस्याओं से निपटने के लिए किए गए प्रबंधों पर जनता और प्रशासन दोनों के अलग-अलग दावे हैं. जनता के अनसार प्रशासन द्वारा धरातल पर कोई कार्य नहीं किया गया है. ऐसे स्थान जहां पर सड़कों की दीवार गिरने का खतरा बना हुआ है वहां ना तो रिपेयर किया गया है और ना ही कोई अन्य प्रबंध.

लेकिन प्रशासन के दावे इसके बिल्कुल विपरीत हैं. प्रशासन के अनुसार बरसात से निपटने के लिए तैयारियां पूरी कर ली गई है. प्रधान सचिव (राजस्व एवं आपदा प्रबंधन) ओंकार चंद शर्मा ने कहा कि प्रदेश भर में लोगों को बरसात से दिक्कतों का सामना न करना पड़े इसके लिए उचित प्रबंध किए गए हैं. साथ ही प्रदेश भर में अधिकारियों को इस संबंध में दिशा निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं.

बरसात में संचार व्यवस्था होती है प्रभावित

ओंकर चंद शर्मा ने कहा कि पिछले वर्ष मानसून व बर्फवारी के दौरान संचार व्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित हुई थी. पुराने अनुभवों से सीख लेते हुए आपातकालीन सुधार के लिए और अधिक सैटेलाइट फोनों की सुविधा जोड़ी गई है. राज्य के पास अब कुल 65 सैटेलाइट फोन हैं, जिसमें से आपदा प्रबंधन विभाग के पास राज्य, जिला मुख्यालय और दुर्गम क्षेत्रों, उपखण्ड काजा, उदयपुर, पांगी तथा किनौर के 7 जनजातीय स्थानों में 28 सैटेलाइट फोन उपलब्ध करवाए गए हैं जबकि पुलिस विभाग को 37 आईसैटस उपलब्ध करवाए गए हैं.

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सैटेलाइट फोनों के रखरखाव व आपदा की स्थिति में उपलब्धता के लिए विस्तृत मानव संचालन प्रक्रिया (एसओएस) जारी की है. ओंकार शर्मा ने कहा कि आने वाले समय में राज्य सरकार, प्रज्ञा संगठन की सहायता से मनाली-लेह मार्ग में 'ब्लैक आउट' जोन पर आठ अतिरिक्त आईसैट फोन जोड़ेगी. इसके अतिरिक्त दूर-दराज के क्षेत्रों व जनजातीय क्षेत्रों में उपायुक्तों से प्राप्त आवश्यकता के अनुसार उनके सम्बन्धित जिलों में आईसैट फोन उपलब्ध करवाए जाएंगे.

Last Updated : Jun 26, 2019, 12:55 PM IST

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