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इमरजेंसी के 44 साल: कांग्रेस नेता बोले मोदी राज में आज अघोषित आपातकाल जैसे हालात - इंदिरा गांधी

हिमाचल कांग्रेस का कहना है कि देश में आज हालात इमरजेंसी से भी बदतर हैं. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि 1975 में हालात अलग थे, लेकिन पिछले पांच सालों में देश में स्थिति इमरजेंसी से भी बदतर हो गई है. हालात ये हैं कि अगर कोई शख्स सरकार के खिलाफ अवाज उठाता है तो उसे जेल में डाल दिया जाता है.

Himachal Congress Leaders on Emergency

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Published : Jun 25, 2019, 5:50 PM IST

Updated : Jun 25, 2019, 6:42 PM IST

शिमला: 44 साल पहले आज ही के दिन देश में इमरजेंसी लगा दी गई थी. 25 जून 1975 की आधी रात को आपातकाल की घोषणा की गई थी जो 21 मार्च 1977 तक लगी रही. इसे भारत के लोकतांत्रिक इतिहास का काला अध्याय भी कहा जाता है.

वहीं, हिमाचल कांग्रेस का कहना है कि देश में आज हालात इमरजेंसी से भी बदतर हैं. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि 1975 में हालात अलग थे, लेकिन पिछले पांच सालों में देश में स्थिति इमरजेंसी से भी बदतर हो गई है. हालात ये हैं कि अगर कोई शख्स सरकार के खिलाफ अवाज उठाता है तो उसे जेल में डाल दिया जाता है.

हिमाचल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप राठौर का कहना है कि 1975 में हालात ऐसे हो गए थे कि इमरजेंसी लगाने का फैसला लेना पड़ा. आपातकाल जैसे फैसले के बाद भी तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने चुनाव करवाने का फैसला लिया गया और इसका कांग्रेस को नुकसान भी हुआ.

हिमाचल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप राठौर.

पीसीसी चीफ ने कहा कि उस दौर की आज के समय की तुलना नहीं की जा सकती, क्योंकि आज देश में अघोषित इमरजेंसी जैसे हालात हैं. आज के समय लोगों को बोलने की आजादी नहीं है. हर कोई डर के साए में जी रहा है. आज के समय देश ऐसी स्थिति से गुजर रहा है जहां लोकतंत्र के लिए बहुत बड़ा खतरा है. सरकारी संस्थाओं को अपने कब्जे में रखकर का लिया जा रहा है.

यूथ कांग्रेस अध्यक्ष मनीष ठाकुर का कहना है कि देश मे कोई भी आवाज उठता है उनकी आवाज दबा दी जाती है. किसान अपनी मांगों को लेकर जब आंदोलन करते हैं तो उनकी आवाज को दबा दिया जाता है और उन पर गोलियां चलाई जाती हैं. देश मे आज हालात इमरजेंसी से ज्यादा खराब हो गए हैं.

यूथ कांग्रेस अध्यक्ष मनीष ठाकुर.

वहीं, कांग्रेस उपाध्यक्ष केवल सिंह पठानिया ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है. यहां हर किसी को अपनी बात रखने का अधिकार है, लेकिन पिछले पांच सालों से देश के हालात बिल्कुल बदल गए हैं. जो लोग बोलते हैं उन्हें जेलों में डाला जाता है. लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की आवाज को दबाया जा रहा है.

Last Updated : Jun 25, 2019, 6:42 PM IST

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