शिमला: एड्स 'साइलेंट बम' है. इस बीमारी का आसानी से पता नहीं लगाया जा सकता है. इस बीमारी के लक्ष्ण भी आम बीमारियों जैसे ही होते हैं. एड्स से संक्रमित व्यक्ति सर्दी, जुकाम, बुखार जैसी सामान्य बीमारियों की चपेट में आना शुरू हो जाता है. सामान्य बीमारियों के कारण एड्स की शुरुआती स्टेज में इसका पता नहीं चल पाता है और व्यक्ति को इलाज करवाने में देर हो जाती है. इसीलिए इसके शुरूआती लक्षणों के बारे में पता होना जरूरी है.
सर्दी, जुकाम, बुखार होने पर ये सोचना भी बिल्कुल गलत है कि उसे एड्स हो गया है. एड्स की बीमारी की पहचान बिना टेस्ट के नहीं हो सकती. मन में दुविधा या शंका होने पर डॉक्टर की सलाह लेने चाहिए. एड्स एक प्रकार का संक्रमण है. इसका पूरा नाम एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशियेंसी सिन्ड्रोम है..यह वायरस हमारे शरीर की प्रतिरोधी क्षमता को कमजोर करता है. आम धारणा है कि व्यक्ति सीधा एडस का मरीज बन जाता है. एचआईवी संक्रमण की अंतिम अवस्था एड्स है. एचआईवी वायरस पहले इन्सान के शरीर में प्रवेश करता है. एचआईवी शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता पर आक्रमण करता है. इसके बाद ये धीरे-धीरे एड्स का रूप लेता है.
वर्तमान में विश्व में साढ़े तीन करोड़ से ज्यादा लोग एचआईवी से ग्रस्त हैं. भारत में 2010 के बाद से एचआईवी संक्रमण के नए मामलों की संख्या में 46 फीसदी की कमी आई है. एड्स के कारण होने वाली मौतों की संख्या में भी 22 फीसदी की कमी दर्ज की गई है. चिकित्सकों का कहना है कि कुछ सरल उपाय अपनाकर इस बीमारी पर लगाम लगाई जा सकती है.
आईजीएमसी शिमला के एआरटी सेंटर में एड्स से पीड़ित मरीजों की संख्या 704 है. हिमाचल में एड्स से पीड़ित मरीजों की संख्या 45 सौ के करीब है. आईजीएमसी के एआरटी सेंटर में पंजीकृत एड्स के 15 से 20 मरीज रोजाना दवा लेने आते हैं. आईजीएमसी के एआरटी सेंटर में विशेषज्ञ डॉ. विमल भारती ने जानकारी देते हुए बताया कि एड्स एक जानलेवा बीमारी है, लेकिन सही समय पर इलाज करवा कर इससे बचा जा सकता है. उन्होंने कहा कि आईजीएसमी में 704 मरीजों का इलाज चल रहा है जो एचआईवी से ग्रसित हैं.
उनका कहना था कि लोगों में यह बीमारी असुरक्षित यौन संबंध या दूषित सिरिंज के इस्तेमाल से यह बीमारी होती है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में युवा नशे के लत में पड़ कर दूषित सिरिंज का इस्तेमाल कर लेते हैं जिससे भी बीमारी होती है.
समय पर आएं अस्पताल
डॉ. भारती ने कहा कि अधिकतर युवा एचआईवी होने की बात गुप्त रखते हैं. क्योंकि समाज मे अब भी लोग एचआईवी से ग्रसित मरीज के साथ भेदभाव करते हैं. लेकिन जब बीमारी बढ़ जाती है तब परिजन मरीज को अस्पातल लेकर आते हैं तब तक बीमारी बढ़ जाती है.
एड्स के लक्ष्ण
- बुखार, पसीना आना, ठंड लगना
- थकान
- भूख कम लगना, वजन घटाना
- मतली, उल्टी आना
- गले में खराश रहना
- दस्त होना
- खांसी होना
- सांसों लेने में समस्या
- शरीर पर चकते होना
- स्किन प्रोब्लम