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हिमाचल सरकार के फैसले से बार संचालकों में नाराजगी, लाइसेंस सरेंडर करने की चेतावनी - लाइसेंस

प्रदेश की आबकारी एवं कराधान नीति के तहत बार लाइसेंस धारकों पर की गई भारी फीस वृद्धि का विरोध तेज हो गया है. प्रदेश भर के बार संचालक सरकार से शराब का कोटा कम करने की मांग कर रहे हैं और यदि सरकार इसमें कमी नहीं करती है तो बार लाइसेंस धारकों ने अपने लाइसेंस सरेंडर करने की चेतावनी भी दी है.

संजीव सूद, अध्यक्ष, बार एसोसिएशन

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Published : Apr 16, 2019, 9:38 PM IST

शिमला: प्रदेश की आबकारी एवं कराधान नीति के तहत बार लाइसेंस धारकों पर की गई भारी फीस वृद्धि का विरोध तेज हो गया है. प्रदेश भर के बार संचालक सरकार से शराब का कोटा कम करने की मांग कर रहे हैं और यदि सरकार इसमें कमी नहीं करती है तो बार लाइसेंस धारकों ने अपने लाइसेंस सरेंडर करने की चेतावनी भी दी है.

संजीव सूद, अध्यक्ष, बार एसोसिएशन

शिमला बार एवं रेस्तरां एसोसिएशन ने आरोप लगाया है कि सरकार उनके कारोबार को ठप करने पर तुली है. एसोसिएशन का कहना है कि वार्षिक शुल्क वृद्धि के कारण लाइसेंस शुल्क में पिछले 7 वर्षों में 700 फीसदी तक कमी हुई है. एसोसिएशन ने आबकारी नीति के तहत कोटे पर जुर्माने को समाप्त करने, माल रोड पर अहाताओं को अनुमति देने की नीति को बंद करने की मांग की है. इन मांगों को लेकर बार एसोसिएशन प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से भी मिले हैं और अपनी समस्याओं से अवगत करवाया है. उन्होंने मुख्यमंत्री से कोटा कम करने की गुहार लगाई है. जिस पर उन्हें मुख्यमंत्री से भी आश्वासन मिला है.

एसोसिएशन के अध्यक्ष संजीव सूद ने कहा कि विभाग ने वार्षिक शुल्क में जो इजाफा किया है, वह बहुत ज्यादा है. जिसके चलते बार मालिकों को बड़ा नुकसान झेलना पड़ रहा है. शराब का न्यूनतम कोटा तय होने की वजह से बार मालिकों को यह तय कोटा उठाना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि नई नीति में कोटा न उठाने पर दंड को तिमाही किया गया है और इसमें पहली बार दंड के रूप में एक लाख रुपये जुर्माना और दो दिन बार बंद रखने पर एक लाख का जुर्माना और चार दिन बार बंद रखने पर दो लाख जुर्माने का प्रावधान किया गया है. यही नहीं 6 दिन बार बंद रखने पर 6 लाख तक का जुर्माना लगाया जा रहा है और लाइसेंस भी रद्द करने का प्रावधान किया गया है.

संजीव सूद, अध्यक्ष, बार एसोसिएशन

सूद ने कहा कि हिमाचल में न्यूनतम कोटा पूरा संभव नहीं है. जिसके चलते एसोसिएशन ने मांग उठाई है कि न्यूनतम कोटे की शर्त को हटा कर बार मालिकों को किसी भी एल 1 इकाई से शराब खरीदने की अनुमति दी जानी चाहिए या फिर विशेष दरों पर शहर के भीतर ही उत्पाद शुल्क आयुक्त की ओर से निर्धारित किया जाना चाहिए. नई नीति के तहत बार संचालकों की कमर टूट जाएगी. प्रदेश में कोई भी लाइसेंस धारक उपेक्षित कोटे को पूरा करने में असमर्थ है और कोटा कम उठाने पर जुर्माने के तौर पर 35 हजार रुपये तक वसूले जा रहे हैं. इससे इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को नुकसान झेलना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार यदि उनकी मांगें नहीं मानती है तो सभी बार संचालक अपने लाइसेंस खुद ही सिलेंडर कर देंगे. इससे राज्य को जहां राजस्व का भारी नुकसान होगा, वहीं पर्यटन पर भी इसका असर पड़ेगा. ऐसे में सरकार को चाहिए कि वो अपनी नीति में बदलाव करें.

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