हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

ETV Bharat / state

डियारा सेक्टर में जागरूकता शिविर का आयोजन, दी गई अहम जानकारी

कहलूर सेवा विकास संस्थान के बैनर तले विश्व श्रवण दिवस पर जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया. शिविर में उपस्थित बच्चों और स्कूल स्टाफ के सदस्यों को संबोधित करते हुए डॉ. डार्विन कौशल ने कहा कि मौजूदा हालातों में सुनने की क्षमता का जीवनशैली पर बहुत प्रभाव पड़ रहा है. इस रोग से प्रभावित लोगों को अपंग नहीं कहा जा सकता.

GSS bilaspur
GSS bilaspur

By

Published : Mar 4, 2021, 9:38 AM IST

बिलासपुर: शहर के राजकीय माध्यमिक पाठशाला डियारा सेक्टर में बुधवार को कहलूर सेवा विकास संस्थान के बैनर तले विश्व श्रवण दिवस पर जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में एम्स कोठीपुरा से एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. डार्विन कौशल ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की.

जागरूकता शिविर में उपस्थित बच्चों और स्कूल स्टाफ के सदस्यों को संबोधित करते हुए डॉ. डार्विन कौशल ने कहा कि मौजूदा हालातों में सुनने की क्षमता का जीवनशैली पर बहुत प्रभाव पड़ रहा है. इस रोग से प्रभावित लोगों को अपंग नहीं कहा जा सकता. डब्ल्यूएचओ को उद्देश्य है हियरिंग फॉर ऑल. इसी के तहत विश्व श्रवण दिवस पर लोगों को सुनाई की सुरक्षा सभी को प्रदान करना मुख्य ध्येय है.

वीडियो.

इन चीजों का रखें खास ख्याल

यदि परिवार में किसी भी सदस्य के कान में किसी भी प्रकार की आवाज का आना शुरू होता है, तो वह कान में कोई तरल पदार्थ न डालें. सबसे पहले अपने नजदीकी चिकित्सक के पास जाएं. वहीं, जब कोई बच्चा पैदा होता है तो 48 घंटे ओई जांच यानि सुनाई की जांच अवश्य करवानी चाहिए.

कॉल अटेंड करते समय दूर रखें फोन

डॉ. डार्विन ने कहा कि अभी कारोना काल में अधिकांश पढ़ाई मोबाइल पर हुई है, तो बच्चे ईयरफोन या हेडफोन का प्रयोग करते रहे हैं. इससे भी श्रवण शक्ति पर असर पड़ता है. मोबाइल फोन में घातक रेडिएशन होती है, इसलिए जब भी फोन सुनना या करना हो तो मोबाइल को अपने कानों से दूरी पर रखें ताकि इसकी घातक रेडिएशन से बचा जा सके.

ये भी पढ़ें:निजी बैंकों की तिजोरी में है हिमाचल सरकार के अरबों रुपए, विभागों के 8.14 तो निगम-बोर्डों के 6.69 अरब डिपॉजिट

तेज ध्वनि को लंबे समय तक सुनना या सहन करना हानिकारक

वर्तमान में युवा और बुजुर्गों में सुनने की समस्या अधिक हो रही है. बच्चों को समय पर सुनने की जांच सुविधा न मिल पाने के कारण आवाज से वंचित रह जाते हैं. उन्होंने कहा कि हमारे कान की सुनने की क्षमता 70 डेसीबल से ज्यादा ध्वनि को लंबे समय तक सुनना या सहन करना हानिकारक हो सकता है, लेकिन इससे ज्यादा आवाज कानों और श्रवण शक्ति को नुकसान पहुंचाती है.

ऐसे करें बचाव

कानों के बचाव को लेकर डॉ. डार्विन ने बताया कि कान से खून या बदबू आना गंभीर रोग की आहट है. इसलिए तुरंत नजदीकी डाक्टर को दिखाएं. बच्चों की गतिविधियों पर नजर रखें. यदि बच्चा कक्षा में या घर में बात पर ध्यान नहीं दे पा रहा हो तो हो सकता है, उसे कम सुनाई दे रहा हो. कानों को तेज शोर से बचाएं और गंदा पानी न जाने दें. यही नहीं कान में कोई नुकीली वस्तु न डालें और न ही बच्चों को कान पर न मारें. कान में कम सुनाई देने, रिसाव होने या चोट लगने पर डॉक्टर को जरूर दिखाएं.

ये भी पढ़ें:हिमाचल प्रदेश में बुधवार को कोरोना के 23 नए मामले, 58 हजार 877 पर पहुंचा संक्रमितों का कुल आंकड़ा

ABOUT THE AUTHOR

...view details