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बडोल पंचायत में हुए भ्रष्टाचार की उच्च स्तरीय जांच की मांग, ग्रामीणों ने दी आमरण अनशन की चेतावनी

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Published : Sep 12, 2020, 8:03 PM IST

Updated : Sep 12, 2020, 8:31 PM IST

बिलासपुर की बडोल पंचायत के ग्रामीणों ने प्रदेश सरकार एवं जिला प्रशासन से पंचायत में हुए व्यापक भ्रष्टाचार के ओरोपों की उच्च स्तरीय जांच करवाने की मांग की है. ग्रामीणों ने कहा कि अगर जिला प्रशासन ने मामले में उचित कार्रवाई नहीं की या मामले में उच्च स्तरीय जांच शुरू नहीं की तो 12 अक्तूबर से वह उपायुक्त कार्यालय बिलासपुर के बाहर आमरण अनशन शुरू करेंगे.

बडोल पंचायत के ग्रामीण
बडोल पंचायत के ग्रामीण

बिलासपुर:बिलासपुर की बडोल पंचायत के ग्रामीणों ने प्रदेश सरकार एवं जिला प्रशासन से पंचायत में हुए व्यापक भ्रष्टाचार के ओरोपों की उच्च स्तरीय जांच करवाने की मांग की है.

ग्रामीणों ने इस मामले की जांच सर्तकता एवं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो करवाने की मांग की है, जिससे मामला का सच सामने आ सके. बडोल पंचायत के ग्रामीणों ने कहा कि वह सतर्कता एंव भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के पास भी गए थे. उन्होंने उपायुक्त बिलासपुर राजेश्वर गोयल को पत्र लिखकर इस मामले की जांच के लिए स्वीकृति भी मांगी है, लेकिन जिला प्रशासन न इस पर कोई कार्रवाई नहीं की है. ग्रामीणों ने कहा कि अगर जिला प्रशासन ने मामले में उचित कार्रवाई नहीं की या मामले में उच्च स्तरीय जांच शुरू नहीं की तो 12 अक्तूबर से वह उपायुक्त कार्यालय बिलासपुर के बाहर आमरण अनशन शुरू करेंगे.

उन्होंने बताया कि एक साल पहले 6 सितबर 2019 को भी विजिलेंस को तथ्यों सहित पूरी शिकायत भेजी गई थी, जिसकी प्रतिलिपि राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को भी दी गई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. उन्होंने इस पत्र में सारी अनियमितताओं का हवाला दिया है. पंचायत में कई विकास कामों के शैल्फ जिस स्थान के हैं वहां वो काम नहीं हुए हैं.

सड़क के साथ नाली क्यों नहीं बनी है. विभाग में सड़क पर बिछी रोड़ी की मोटाई 7 इंच दर्शाई गई है, लेकिन मौके पर रोड़ी मात्र 2.5 इंच ही है. इन अनियमितताओं को आरटीआई से पूछने पर भी कोई जवाब नहीं मिला. उन्होंने इस बात पर हैरानी जताते हुए कहा कि इस मामले में भ्रष्टाचार के आरोपी विभागीय कर्मियों को जांच अधिकारी बना दिया जाता है.

ग्रामीणों ने कहा कि प्रशासन आम आदमी के दर्द व विभागीय कर्मियों के भ्रष्टाचार को समझे व इसकी उच्च स्तरीय निष्पक्ष जांच करें. वह एक माह बाद आमरण अनशन करने पर बाध्य होंगे, जिसका दायित्व सरकार व जिला प्रशासन पर होगा.

Last Updated : Sep 12, 2020, 8:31 PM IST

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