बिलासपुर: 19 नवंबर विश्व टॉयलेट दिवस के रूप में मनाया जाता है. हिमाचल को शौच मुक्त किया गया है, लेकिन धरातल की सच्चाई कुछ और ही ब्यां करती है.
बिलासपुर की बात करें तो यहां पर प्रशासन द्वारा शहर के मुख्य स्थानों पर टॉयलेट बनाए गए है, लेकिन इसकी सुविधा लोगों को कितनी मिलती है. यह उस समय साफ हो गया जब सुबह के समय टॉयलटों पर ताला लटका पाया गया.
प्रशासन द्वारा टॉयलेट बनाए गए हैं कि लोग खुलें में शौच न करें, लेकिन सुबह के समय इन टॉयलटों में ताला लटके रहने की वजह से लोगों को मजबूरन खुले में शौच करने को विवश हो गए हैं. वहीं, प्रशासनिक आंकड़ों की बात करें तो बिलासपुर जिला में इंडिविजुअल हाउस होल्ड टॉयलेट के लिए सरकार की ओर से 14662 का टारगेट मिला था. जिसको जिला प्रशासन ने पूरा कर लिया है.
वहीं, इस आंकड़े को प्रशासन ने 2016 में ही पूरा कर लिया था. वहीं, खास बात भी है कि बिलासपुर जिला के घुमारवीं ब्लॉक को स्वच्छ निर्मल भारत का आवार्ड भी मिला है. 2010 में हिमाचल को पहला ब्लॉक होने के चलते घुमारवीं को स्वच्छ ब्लॉक होने पर सरकार द्वारा सम्मानित किया गया था. जिसमें घुमारवीं ब्लॉक के तहत आने वाली सभी पंचायतों को 2 लाख रूपये नकदी ईनाम राशि से पुरस्कृत किया गया था.
बताते चलें कि उसके बाद 2017 में बिलासपुर जिला को 169 कॉमिनिटी टायलेट यानि की सड़क किनारे, शहरों व सार्वजनिक स्थानों पर टायलेट बनाने का टारेगट था. जिसे भी जिला प्रशासन ने पूरा कर लिया है. वहीं, 2020-21 के टारगेट की बात करें तो अभी तक प्रशासन को 98 टॉयलेट बनाने का टारेगट दिया गया है, जिसके लिए प्रशासन कार्यरत है.
प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि डिमांड के हिसाब से भी टायलेट बनाए जाते हैं. मनरेगा के तहत अगर कोई डिमांड करता है तो उनके लिए भी टॉयलेट बनाए जाते हैं.