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कोरोना का साइड इफेक्ट: संकट में प्राइवेट स्कूल, हर महीने हो रहा लाखों का नुकसान - school operators lose millions every month

आज के मॉर्डन दौर में हरकोई अपने बच्चों की प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाना चाहता है. फर्राटेदार इंग्लिश बोलने वाले प्राइवेट स्कूलों के बच्चों की पढ़ाई में लाखों का खर्च आता है, प्राइवेट स्कूलों के खर्चे उठा पाना सभी के लिए संभव नहीं होता है. कोरोना संकट काल के दौरान सरकारी स्कूलों की तुलना में छात्रों को बेहतर सुविधाएं देने वाले प्राइवेट स्कूल संचालकों की स्थिति आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया वाली हो गई है.

loss to private school during lockdown
प्राइवेट स्कूल को हर महीने लाखों का नुकसान.

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Published : Jul 1, 2020, 8:18 PM IST

बिलासपुर:कोरोना महामारी से एहतियात के तौर पर देश और प्रदेश में मार्च महीने से स्कूल बंद हैं. इस स्थिति में सरकार और शिक्षा विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार प्राइवेट स्कूल अभिभावकों से केवल ट्यूशन फीस ही ले सकते हैं. महज ट्यूशन फीस की वसूली से छात्रों की हर छोटी-बड़ी सुविधाओं के हिसाब से खड़े किये गए प्राइवेट स्कूलों के खर्चे निकाल पाना मुश्किल साबित हो रहा है.

ऐसे में बड़े-बड़े भवनों का किराया, स्कूल की बसों की किश्तें, बस चालक-परिचालकों, अध्यापकों, अन्य स्टाफ की सैलरी और भारी भरकम बिजली बिलों का भुगतान कर पाने में प्राइवेट स्कूल संचालकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

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कोरोना संकटकाल में अभिभावकों के लिए भी प्राइवेट स्कूलों को भारी-भरकम फीस चुका पाना संभव नहीं है. जिसको देखते हुए शिक्षा मंत्री ने साफ कर दिया था कि स्कूल बंद होने की स्थिति में प्राइवेट स्कूल अभिभावकों से महज ट्यूशन फीस ही वसूलेंगे. हालांकि कई अभिभावक ट्यूशन फीस का भुगतान भी नहीं कर रहे हैं. स्कूल बंद होने की स्थिति में प्राइवेट स्कूलों को इनकम नहीं हो पा रही है और ऐसे में प्राइवेट स्कूल संचालकों के लिए ज्यादा दिन तक खर्चे निकाल पाना संभव नहीं है.

जिला बिलासपुर की बात की जाए तो स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियेां के अनुसार जिला में 853 प्राइवेट स्कूल है, जिनमें से 142 प्रारंभिक शिक्षा, 36 माध्यमिक पाठशाला और15 वरिष्ठ निजी स्कूल हैं और कोरोना काल में इन सभी प्राइवेट सकूल संचालकों को लाखों का नुकसान झेलना पड़ रहा है. प्राइवेट स्कूलों पर जरूरत से ज्यादा फीस वसूली के आरोप लगते रहते हैं और इसके विरोध में विरोध-प्रर्दशन भी होते रहते हैं. हालांकि प्राइवेट स्कूल इस बात को हमेशा नकारते रहे हैं.

प्राइवेट स्कूलों के अध्यापकों और अन्य स्टाफ की नौकरी पर भी खतरे की घंटी लटकी हुई है. इसपर सरकार ने अपना रुख साफ कर दिया था कि अगर कोई भी स्कूल स्टाफ से किसी को नौकरी से निकालता है, तो स्कूल संचालकों पर त्वरित कार्रवाई की जाएगी. ऐसे में स्कूल संचालकों की मांग है कि सरकार को उनकी स्थिति को देखते हुए उचित कदम उठाने की जरूरत है.

एक तरफ कोरोना की मार और दूसरी तरफ सरकार की सख्ती से प्राइवेट स्कूल संचालकों को हर महीने लाखों का नुकसान हो रहा है. फिलहाल प्राइवेट स्कूल संचालक अपने स्टाफ को सैलरी दे रहे हैं, लेकिन आमदनी न होने की स्थिति में ज्यादा दिन खर्च निकाल पाना संभव नहीं है. आगामी दिनों में प्राइवेट स्कूलों का संचालन किस तरह हो पाएगा ये सरकार पर निर्भर करता है.

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