कोलडैम और चमेरा डैम में शुरू होंगी मोटरबोट बिलासपुर:कोलडैम और चमेरा डैम में मत्स्य विभाग जल्द 2 मोटरबोट शुरू करेगा,ताकि जलाशयों की निगरानी की जा सके. यह मत्स्य आखेट के दौरान अवैध शिकार पर नजर रखने में भी मददगार साबित होगी. बिलासपुर जिले की गोबिंदसागर झील में अभी 2 मोटरबोट चल रही, एक बिलासपुर तो दूसरी भाखड़ा में उपलब्ध है.
पर्यटकों के लिए भी शुल्क पर उपलब्ध:यह मोटरबोट पर्यटकों के लिए भी निर्धारित शुल्क पर सैर करने के लिए उपलब्ध रहती हैं. इसी तरह कोलडैम में हरनोड़ा से लेकर तत्तापानी तक झील की लंबी सैर का लुत्फ उठाने की भी पर्यटकों को जल्द सहूलियत उपलब्ध होगी. जल्द ही एक आधुनिक मोटरबोट कोलडैम में शुरू की जाएगी.
मत्स्य कारोबार भी 8 से 10 मीट्रिक टन:अभी तक कोलडैम में चार सहकारी सभाएं कार्यरत हैं ,जोंकि मछली पकड़ने का काम कर रही और सालाना मत्स्य कारोबार भी 8 से 10 मीट्रिक टन हो रहा है. यही नहीं, कोलडैम में विभाग ने पायलट बेस पर ट्राउट उत्पादन भी शुरू किया है और ट्रायल सक्सेस रहने के बाद अब आगे के लिए बड़े स्तर पर उत्पादन शुरू करने की कार्ययोजना बनाई गई है. आने वाले समय में मत्स्य विभाग ने कोलडैम में कार्प प्रजाति की मछलियों के अलावा ट्राउट उत्पादन भी बड़े पैमाने पर किया जाएगा.
एक मोटरबोट की कीमत करीब 30 लाख:बंद सीजन के दौरान जलाशय की निगरानी के लिए मॉडर्न मोटरबोट को प्रयोग में लाया जा सकेगा.वहीं, आवश्यकतानुसार तत्तापानी तक झील की सैर का लुत्फ उठाने के लिए यह मोटरबोट पर्यटकों व स्थानीय लोगों के लिए भी निर्धारित किराए पर उपलब्ध रहेगी. मत्स्य विभाग के निदेशक सतपाल मेहता ने बताया कि गोबिंदसागर और पौंग डैम की तर्ज पर कोलडैम और चमेरा डैम में भी नई मॉडर्न मोटरबोट शुरू की जाएंगी. एक मोटरबोट की लागत करीब तीस लाख के आसपास होगी. इस मोटरबोट से कोलडैम जलाशय की निगरानी की जा सकेगी. वहीं ,इस बोट को पर्यटकों के लिए भी उपलब्ध कराया जाएगा. उन्होंने बताया कि चमेरा डैम में भी एक मॉडर्न मोटरबोट शुरू करने की योजना है जिसे जल्द शुरू किया जाएगा.
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