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'भगवान के घर' पर भी पड़ी लॉकडाउन की मार, मुश्किल से निकला खर्च

लॉकडाउन के दौरान मंदिरों के बंद रहने से पुजारी वर्ग और मंदिर में काम करने वाले लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. मंदिर में श्रद्धालुओं के न आने से मंदिरों की आय पूरी तरह से बंद हो गई थी. जिसके चलते मंदिर न्यासों को मंदिरों के खर्च निकालने के साथ पुजारी और अन्य कर्मचारियों की वेतन देने में काफी मुश्किलें पेश आई.

How the temples managed their expenses during the Corona epidemic
मंदिर के खजानों पर कोरोना की मार

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Published : Oct 18, 2020, 6:12 AM IST

बिलासपुर: हिमाचल प्रदेश में कोरोना महामारी के कारण मार्च से लेकर सितंबर महीने तक करीब सात महीनों के बाद सरकार की ओर से जारी एसओपी के साथ मंदिर खुल गए हैं. नवरात्रों के शुरू होते ही श्रद्धालू भी मंदिरों में पहुंचने लगे हैं.

लेकिन लॉकडाउन के दौरान मंदिरों के बंद रहने से पुजारी वर्ग और मंदिर में काम करने वाले लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. मंदिर में श्रद्धालुओं के न आने से मंदिरों की आय पूरी तरह से बंद हो गई थी. जिसके चलते मंदिर न्यासों को मंदिरों के खर्च निकालने के साथ पुजारी और अन्य कर्मचारियों की वेतन देने में काफी मुश्किलें पेश आई.

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बिलासपुर जिला के लक्ष्मी नारायण मंदिर के पुजारी ने बताया कि मंदिर के खातों में बची हुई राशि से महामारी के इस दौर में उन्होंने मंदिर में किए जाने वाले पूजा पाठ का खर्च उठाया और मंदिर के बाकी कर्मचारियों को उनका मासिक वेतन दिया.

वहीं, बाबू राम पंडित ने यह भी बताया कि अब सरकार के एसओपी के मुताबिक लोग मंदिर में आ तो सकते हैं, लेकिन चढ़ावे के तौर पर साथ कुछ नहीं ला सकते. मंदिर खुलने के बाद जो लोग दर्शन के लिए आ रहे हैं, वह दान पात्र में दान भी कर रहे हैं, जिससे मंदिर को थोड़ी बुहत आय आना शुरू हो गई है.

इसके अलावा जिला में कई ऐसे मंदिर भी हैं, जिनके पुजारी लॉकडाउन के दौरान मंदिर के खाते से खर्च के लिए पैसे नहीं निकाल पाए. बावजूद इसके उन्होंने अपने निजी खर्चे पर मंदिर किए जाने वाले पूजा पाठ और अन्य चीजों का खर्च उठाया.

वहीं, जब इस बारे में एसडीएम बिलासपुर से बात की गई तो, उन्होंने बताया कि लॉकडाउन से लेकर अब तक मंदिर के खातों में जमा राशि से पुजारी वर्ग को वेतन दिया गया. साथ ही मंदिर की अन्य जरुरतों को पूरा किया गया, लेकिन अब मंदिर न्यासों के खातों में ज्यादा राशि नहीं बची हुई है. अगर ऐसे ही चलता रहा तो, पुजारी वर्ग को वेतन देना मुश्किल हो जाएगा. फिर प्रशासन की ओर से कोशिश रहेगी कि इन्हे वेतन दिया जाए.

जब लॉकडाउन के दौरान सारा कारोबार ठप पड़ चुका था. सरकार के पास आय का कोई साधन नहीं था, तो हिमाचल के कांगड़ा ऊना और बिलासपुर जिला के मुख्य मंदिर ने कुल 9.21 करोड़ की राशि दान पीएम केयर फंड में दान की थी.

इसमें से 2 करोड़ रुपये बिलासपुर जिला के शक्तिपीठ नैना देवी मंदिर न्यास ने भी दिए थे, लेकिन अब कोरोना महामारी का यह दौर काफी लंबा चल पड़ा है, जिस वजह से मंदिर को अपना खर्च निकालना ही मुश्किल हो रहा है.

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