बिलासपुर: सार्वजनिक परिवहन किसी भी राज्य की परिवहन व्यवस्था का मुख्य आधार होती है. हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्यों में सार्वजनिक और निजी बसें ही लोगों को मंजिल तक पहुंचाने का सहारा है. नियमों के मुताबिक बसों में एक प्राथमिक चिकित्सा किट यानि फर्स्ट एड किट का होना जरूरी है. ईटीवी भारत ने बिलासपुर में सरकारी और निजी बसों में फर्स्ट एड किट की व्यवस्था का जायजा लिया. यहां बसों में किट और उसमें होने वाला जरूरी सामान मौजूद था. इसके साथ ही ड्राइवर और कंडक्टर को इसके इस्तेमाल की भी पूरी जानकारी थी.
फर्स्ट एड किट है जरूरी
बस में सफर के दौरान आपने भी बसों में ये फर्स्ट एड किट देखा होगा. इस किट में डेटॉल, एंटीसेप्टिक क्रीम, रूई, पट्टी आदि चीजें होना जरूरी है. जिनका आपात काल के दौरान इस्तेमाल किया जा सके.
सड़क हादसा कभी भी और कहीं भी हो सकता है. हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्यों में हादसों की आशंका बनी ही रहती है. ऐसे में किसी हादसे के दौरान अगर बस में बैठे यात्रियों को चोट पहुंचती है तो फर्स्ट एड किट संजीवनी साबित हो सकती है. इस किट के माध्यम से घायल को प्राथमिक इलाज दिया जा सकता है ताकि अस्पताल पहुंचने तक स्थिति गंभीर ना हो.
ड्राइवर-कंडक्टर दी जाती है ट्रेनिंग
बिलासपुर में बसों में मौजूद फर्स्ट एड किट की जांच के दौरान पाया गया कि प्राथमिक चिकित्सा किट में एंटीसेप्टिक क्रीम, डेटॉल, बेंडेज, वाटर प्रूफ प्लास्टर समेत अन्य जरूरी सामान मौजूद था. वहीं ड्राइवर और कंडक्टर को भी इस किट के इस्तेमाल की जानकारी थी. बस चालक और परिचालकों को फर्स्ट एड किट की अहमियत भी पता है. उनके मुताबिक किसी हादसे के दौरान फर्स्ट एड किट बहुत काम आती है.