घुमारवीं: सीर खड्ड में पाषण युग के दुर्लभ औजार खोजे गए हैं. यह 1 लाख साल पुराने हेफ्टेड औजार बताए जा रहे हैं, इसका खुलासा एंथ्रोपोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया कोलकाता के पूर्व वरिष्ठ मानव विज्ञानी डॉ. अनेक राम सांख्यान ने किया है.
डॉ. अनेक राम सांख्यान ने इन हेफ्टेड औजारों को ओएसएल तकनीक से 50 से 90 हजार वर्ष पूर्व का आंका है. डॉ. संख्यान का दावा है कि यह भारत के उत्तर पश्चिमी उप हिमालय में पहली बार पाए गए हैं. इन औजारों का इस क्षेत्र में मिलना प्रागैतिहासिक मानव की विविध गतिविधियों का प्रमाण है.
डॉ. अनेक राम संख्यान घुमारवीं की सीर खड्ड घाटी में पिछले 5 सालों से जांच पड़ताल कर रहे थे. इस दौरान ही उन्हें कई महत्वपूर्ण पाषण युगीन आदिमानव के औजार मिले हैं. उन्होंने घुमारवीं से लेकर बम व जाहू तक 450 मध्य पुरापाषाण उपकरणों की खोज की है.
इस संग्रह में उन्होंने 20 श्रेणियों के औजारों की पहचान की, जिसमें 111 हेफ्टेड उपकरण हैं. लगभग चार में से एक उपकरण हेफ्टेड है. इनमें बड़े आकार की कुल्हाड़ी, भाले, तीर, फावड़े, मांस काटने के चौपर सहित अन्य औजार शामिल हैं. इन को हैफ्ट किया जा सकता है यानी एक डंडे के साथ बांधकर इस्तेमाल किया जाता है.
इन औजारों के अतिरिक्त घुमारवीं से अति दुर्लभ आरियां, कुदाल, चाकू, लारेल के पत्ते, तीखी धार वाली तलवारें, लकड़ी के शहतीर को फाड़ने वाली छैनी शामिल हैं. प्रेस की तरह भी एक उपकरण मिला है. अनुमान लगाया जा रहा है कि इससे खाल को प्लेन किया जाता होगा.
डॉ. संख्यान ने बताया कि पूरा पाषाण में आदि मानव पिछले 20 लाख वर्षों से हाथ से सीधे पकड़ कर इस्तेमाल करने वाले हैंडएक्स, चापर, स्क्रैपर आदि का उपयोग करता था. यह कम दूरी के शिकार के लिए इस्तेमाल किए जाते थे. धीरे-धीरे खतरनाक जानवरों के साथ सीधे मुठभेड़ से बचने के लिए पाषण मानव ने इन्हें दूर से फेंकने की कला सीखी. उन्हें एक लकड़ी के साथ बांधने का विचार आया. इस तरह उसने एक हथौड़ा, कुल्हाड़ी, कुदाल, फावड़े का आविष्कार किया.