बिलासपुर: पूरे देश को अपने हुनर से कायल बनाने वाले दिव्यांग अशोक कुमार को प्रोत्साहित करने के लिए अब बड़े मीडिया हाउस सामने आ रहे हैं. जिला मंडी के सुंदरनगर स्थित आईटीआई में पढ़ने वाले 20 वर्षीय दिव्यांग युवक अशोक कुमार ने पहले सोशल मीडिया और बाद में मीडिया पर अपना जलवा बिखेरा.
अशोक कुमार को प्रोत्साहित करने के लिए हिमाचल फिल्म सिनेमा ने अपना ब्रांड प्रमोटर बनाने का फैसला लिया है. लेकिन अशोक कुमार की जिंदगी में दर्द भरी दास्तां है.
अशोक कुमार के पहाड़ समान मजबूत इरादों ने सिद्ध कर दिया है कि अगर इंसान के हौसले बुलंद हों तो भगवान भी मंजिल तक पहुंचाने के लिए मदद करता है. दिव्यांगता भी अभिशाप नहीं बल्कि वरदान बन जाती है. अशोक कुमार की बहन भी बचपन से दिव्यांग है.
विडंबना की बात है ये है कि अशोक कुमार और उसकी बहन को मां-बाप ने बचपन में ही छोड़ दिया था, लेकिन कहते हैं न हिम्मत-ए-मर्दा तो मदद-ए-खुदा जो इंसान खुद की मदद करता है, उसका साथ खुद भगवान भी देते हैं. कुछ ऐसा ही अशोक कुमार के साथ भी हुआ है.
जिसने अपनी दिव्यांगता से हार मानने की जगह खुद को निखारने का प्रयास किया. अशोक कुमार बड़े-बड़े हीरो या विलेन की मिमिक्री करता है. अशोक ने बताया कि बचपन से रेडियो पर विख्यात कहानीकार कबीर, उद्घोषकों, आरजे नावेद, आरजे हर्ष और आनंद भार्गव से मिमिक्री की प्रेरणा मिली है.
इटीवी भारत की टीम ने जिला बिलासपुर विधानसभा क्षेत्र झंडुता के गांव जावला में रहने वाले अशोक के ताया के घर जा कर अशोक कुमार और उसकी बहन अंजना कुमारी के बारे में बात की.
अशोक की ताया बरम दास ने बताया कि फेसबुक और इंटरनेट चल रही अशोक की वीडियो के बारे में उन्हें कुछ लोगों से जानकारी प्राप्त हुई, असोक को मिल रही इस ख्याती से उसके ताया काफी खुश हैं. ताया बरम दास ने अशोक और अंजना के जीवन के बारे में बताया कि इन दोनों के माता पिता 2011 में इन दोनों को छोड़कर चले गए थे. तब से वही उनकी देख-रेख कर रहे हैं.
वीडियो के बारे में जब अशोक कुमार की बहन अंजना कुमारी से बात की तो अंजना कुमारी ने बताया कि अपने भाई की इस उपलब्धि को लेकर जब उसने अपने भाई को फोन किया और बधाई दी. आपको बता दें कि असोक ने का जो वीडियो वायरल हो रहा है वो बाल दिवस के मौके पर बनाया गया था.
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