बिलासपुर: जिला बिलासपुर में जिला परिषद के चुनावी संग्राम में दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. एक मंत्री, दो विधायक और एक पूर्व विधायक पार्टी समर्थित प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित बनाने के लिए खूब पसीना बहा रहे हैं.
इसी तरह कांग्रेस के एक विधायक और तीन पूर्व विधायक लाज बचाने को लेकर फील्ड में मोर्चा संभाले हुए हैं. हालांकि जिला परिषद के वार्डों में दोनों ही मुख्य राजनीतिक दलों के समक्ष बागी टेंशन पैदा कर रहे हैं, जिससे मुकाबला कड़ा हुआ है और चुनाव परिणाम कुछ भी हो सकते हैं.
इस बार जिला परिषद की अध्यक्षी महिला के लिए आरक्षित है. कुल 14 सदस्यीय जिला परिषद के केवल एक वार्ड में भाजपा व कांग्रेस समर्थित प्रत्याशियों में सीधी टक्कर है, जबकि चार वार्डों में तिकोना और दो वार्डों में बहुकोणीय मुकाबला होगा.
प्रत्याशियों की संख्या के लिहाज से बामटा वार्ड टॉप पर है. यहां 11 योद्धा चुनावी रणभूमि में एक.दूसरे को ललकार रहे हैं. कुठेड़ा वार्ड में कांग्रेस की जिलाध्यक्ष खुद मैदान में हैं, जिसे अपनी की पार्टी की निर्दलीय प्रत्याशी से कड़ी चुनौती मिल रही है.
विडंबना यह है कि कांग्रेस डंगार व हटवाड़ वार्डों से पार्टी समर्थित प्रत्याशी ही तय नहीं कर पाई है. जिला परिषद बिलासपुर के 14 वार्डों से 68 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. बीजेपी के जिलाध्यक्ष स्वतंत्र सांख्यान की मानें, तो निश्चित रूप से पार्टी समर्थित प्रत्याशियों की जीत होगी.
इस बाबत पार्टी के पदाधिकारीए विधायक और कार्यकर्ता जी जान से जुटे हुए हैं. वहींए कांग्रेस जिलाध्यक्ष अंजना धीमान का कहना है कि पार्टी समर्थित प्रत्याशियों की जीत होगी और वह खुद कुठेड़ा वार्ड से मैदान में हैं.