बिलासपुर:कांग्रेस विधायक रामलाल ठाकुर ने केंद्र सरकार पर नई शिक्षा नीति को लेकर निशाना साधा है. रामलाल ठाकुर ने कहा नई शिक्षा नीति का ड्राफ्ट पढ़ कर लगता है कि अब शिक्षा जगत में अनुसंधान व रिसर्च का का अध्ययन केवल वही लोग कर पाएंगे जिनके पास माकूल धन होगा. मध्यम वर्गीय व निम्न वर्गीय परिवरों के बच्चों को धन की कमी के चलते अपनी शिक्षा स्नातक स्तर तक ही समाप्त करनी पड़ेगी.
रामलाल ठाकुर ने कहा कि इस नई शिक्षा नीति को पढ़ कर इस लगता है कि अब शिक्षा के क्षेत्र में विश्वविद्यालय भी एक कॉरपोरेट कंपनी की तरह काम करगें. इन विश्विद्यालयों को जो स्वायत्ता प्रदान करने की बात की गई है वह इनकी निजी पूंजी पर निर्भर करेगी, क्योंकि सरकार जो शिक्षा के क्षेत्र में विश्विद्यालयों को अनुदान देती थी. वह स्वायत्तता देने के नाम पर बंद किया जा रहा है.
रामलाल ठाकुर ने कहा कि अब पैसों को लेकर इन विश्विद्यालयों में प्रतिस्पर्धा केंद्र सरकार करवाने जा रही है. रामलाल ठाकुर ने कहा कि पूर्व में यूपीए की सरकार ने "राइट टू एडुक्शन" शिक्षा का अधिकार दिया था, तो अभी भी देश मे दो करोड़ बच्चे ऐसे हैं जो शिक्षा से वंचित है. रामलाल ठाकुर ने कहा शिक्षा नीति सर्व व्यापक होनी चाहिए, लेकिन यह सिर्फ धन व्यापक नजर आ रही है.
इस शिक्षा नीति में जहां पर विश्व के 100 विश्विद्यालयों को भारत मे लाने की बात की गई है. वहां पर भारत के जो उच्च शिक्षण संस्थान है, उनके अंदर भी हीन भावना को जन्म दिया जाएगा क्योंकि जो विश्विद्यालय अनुसंधान व रिसर्च करवाएंगे. वह छात्रों से फीस के नाम पर मोटी कमाई करेंगे और जो अन्य विश्विद्यालय व महाविद्यलयों में छात्र शिक्षा ग्रहण करेंगे तो स्वाभिक हैं कि उनमें हीन भावना जन्म लेगी जोकि गलत दिशा में देश को लेकर जाएगी.
रामलाल ठाकुर ने देश के बजट का 6 प्रतिशत शिक्षा बजट पर खर्च करने की बात कही जाती रही है जबकि केवल मनमोहन सिंह की सरकार में कुल बजट का 4.5 प्रतिशत ही शिक्षा पर खर्च किया गया है और वर्तमान केंद्र बाकी सरकार कुल बजट का शिक्षा बजट पर 1.5 प्रतिशत भी खर्च नहीं दे पा रही है. ऐसे में ऐसी शिक्षा नीति देश मे लाना बड़ा संशय खड़ा करता है.