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राम लाल ठाकुर ने कृषि कानून को बताया काला कानून, केंद्र सरकार से की ये मांग

राम लाल ठाकुर ने कहा कि केंद्र सरकार को किसानों की समस्याओं को सुनने में वक्त नहीं है जबकि अडानी जैसे लोगों के खाद्य भंडारण किराए पर देने के लिए पहले से योजना तैयार हो कर ली थी. उन्होंने यहां पर पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र सरकार अब किसानों के आंदोलन को तोडने के लिए झूठ का सहारा लेने गई है.

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विधायक श्री नयना देवी जी राम लाल ठाकुर

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Published : Dec 8, 2020, 8:04 PM IST

Updated : Dec 8, 2020, 8:23 PM IST

बिलासपुर: अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य व पूर्व मंत्री व विधायक श्री नयना देवी जी राम लाल ठाकुर ने किसान बिलों को काला कानून करार दिया है. अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य एवं पूर्व मंत्री व श्री नयना देवी जी से विधायक राम लाल ठाकुर ने किसान बिलों को काला कानून करार दिया है.

केंद्र सरकार पर वार

राम लाल ठाकुर ने कहा कि केंद्र सरकार को किसानों की समस्याओं को सुनने में वक्त नहीं है जबकि अडानी जैसे लोगों के खाद्य भंडारण किराए पर देने के लिए पहले से योजना तैयार हो कर ली थी. उन्होंने यहां पर पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र सरकार अब किसानों के आंदोलन को तोडने के लिए झूठ का सहारा लेने गई है. अब झूठी यूनियनों को खड़ किया जा रहा है. ठाकुर ने कहा कि किसी आंदोलन को तोड़ने का यह पुराना तरीका है. उन्होंने कहा कि इन बिलों पर केंद्र सरकार चारों ओर से सरकार घिर चुकी है.

वीडियो.

किसानों के साथ राजनीतिक पार्टियां

किसानों के साथ आमजन और राजनैतिक पार्टियां भी खड़ी हो चुकी हैं. राम लाल ठाकुर ने तीखे सवाल दागते हुए कहा कोई यह तो बताए कि तीनों नए कानून से पहले भंडारण के लिए अडानी ग्रुप से करार किस कानून के तहत किया गया जून 2019 की एक खबर है. एफसीआई बिहार और पंजाब में भंडारण के लिए अडानी ग्रुप से एक करार करती है और जिसके तहत जिसके तहत बड़े-बड़े साइलोस बनाए जाने थे. इस बात की जानकारी सामने आनी चाहिए कि भंडारण के लिए पहले प्राइवेट पार्टी को प्रवेश दिया जाता है और फिर एक साल बाद कानून बदल कर प्राइवेट कंपनियों को स्टॉक लिमिट से छूट दी जाती है.

किसानों की बात सुने सरकार

विधायक राम लाल ठाकुर ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार को चाहिए कि किसानों की बात को सुनें. उन्होंने मोदी सरकार पर जुबानी हमला बोलते हुए कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन की सरकार ने अपने कार्यकाल में केवल विभिन्न संगठनों से सुझाव मांगे थे, लेकिन उन्होंने कोई कानून नहीं बनाया था. मोदी सरकार ने किसानो के हितों को दांव पर रखते हुए एक साथ तीन बिल पास कर दिए. उन्होंने सरकार से इन बिलों को रदद को फिर से कानून बनाने की मांग की है.

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Last Updated : Dec 8, 2020, 8:23 PM IST

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