बिलासपुर:कलम के पुरोधा वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार, कवि और दार्शनिक स्वर्गीय शब्बीर कुरैशी की 14वीं पुण्यतिथि पर बिलासपुर प्रेस क्लब में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. बिलासपुर प्रेस क्लब के बैनर तले आयोजित इस कार्यक्रम में कोविड-19 के नियमों यानि सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ध्यान रखा गया.
बिलासपुर प्रेस क्लब के संरक्षक राकेष शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में स्वर्गीय शब्बीर कुरैशी की धर्मपत्नी आशा कुरैशी मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुई, जबकि डीपीआरओ कृष्ण पाल ने विशेष अतिथि के रूप में शिरकत की.
सर्वप्रथम सभी पत्रकारों के चहेते गुरू शब्बीर कुरैशी जी की प्रतिमा पर पुश्पांजली दी गई. इस दौरान सभी पत्रकारों और साहित्यकारों ने गुरू शब्बीर कुरैषी के संग बिताए अपनी मधुर स्मृतियों को याद कर ताजा किया. संरक्षक राकेश शर्मा ने कहा कि शब्बीर कुरैशी उनके लिए पिता तुल्य रहे क्योंकि उन्हीं ने कलम पकड़ना और शब्दों को एक स्वर में पिरोकर कागज में उकेरना सिखाया है.
वरिष्ठ साहित्यकार रतन चंद निर्झर ने शब्बीर कुरैषी को एक विलक्षण प्रतिभा बताया, उन्होंने कहा कि समाज में ऐसे लोग बिरले ही पैदा होते हैं. समभाव के प्रतीक शब्बीर कुरैशी की शाब्दिक पकड़ हर क्षेत्र में स्टीक थी.
वरिष्ठ पत्रकार अरूण डोगरा ने कहा कि शब्बीर गुरू की छाया में ही उन्होंने बिलासपुर में अपनी पत्रकारिता के स्तंभ गाढ़े हैं. सभी की सहायता करने के लिए चैबीसों घंटे उपलब्ध रहने वाले शब्बीर कुरैशी की ख्याति उत्तरी भारत में विख्यात थी. अरूण डोगरा ने गुरू शब्बीर कुरैशी जी के व्यक्तित्व पर कविता भी पढ़ी.