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हिमाचल के जलाशयों में मत्स्य आखेट पर लगा प्रतिबंध हटा, पहले दिन हुआ 33 लाख का कारोबार - 22 मीट्रिक टन फिश प्रोडक्शन

मत्स्य आखेट के पहले दिन प्रदेश के जलाशयों में 22 मीट्रिक टन फिश प्रोडक्शन के तहत 33 लाख का कारोबार दर्ज किया गया, आगामी दिनों में फिश प्रोडक्शन में अप्रत्याशित बढ़ोतरी होने की उम्मीद है.

मत्स्य आखेट पर लगा प्रतिबंध हटा

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Published : Aug 16, 2019, 8:13 PM IST

बिलासपुर: हिमाचल के जलाशयों में मत्स्य आखेट पर प्रतिबंध हटने के बाद पहले ही दिन लगभग 33 लाख रूपए का कारोबार हुआ है. इसमें अस्सी फीसदी मछुआरों को रोजगार मिलेगा, जबकि शेष बीस प्रतिशत में विभाग और मत्स्य सहकारी सभाओं की हिस्सेदारी है. सभी जलाशयों में कुल 22 मीट्रिक टन फिश की प्रोडक्शन हुई है. इस बार क्लोज सीजन की अवधि पंद्रह दिन बढ़ाए जाने और जलाशयों में पानी लबालब भरा होने के चलते मछली की ब्रीडिंग सही हुई है. आने वाले दिनों में मत्स्य कारोबार में बढ़ोतरी होने की उम्मीद है.

मत्स्य आखेट पर लगा प्रतिबंध हटा

मत्स्य निदेशालय बिलासपुर में कार्यरत निदेशक सतपाल मैहता ने बताया कि मत्स्य आखेट पर प्रतिबंध हट गया है. पहले दिन ही दिन प्रदेश में बाईस मीट्रिक टन मछली पकड़ी गई है. इस बार पौंगडैम से सर्वाधिक 10 मीट्रिक टन और गोविंदसागर जलाशय में 8.7 मीट्रिक टन मछली पकड़ी गई है. रणजीतसागर डैम में 3.2 मीट्रिक टन, चमेरा डैम में 2 से 3 क्विंटल और कोलडैम में ढाई क्विंटल मछली पकड़ी गई है. सतपाल मैहता ने बताया कि इस बार जलाशयों में पहले ही दिन तेंतीस लाख रूपए का कारोबार किया गया है जिसमें मछुआरों को 80 फीसदी यानी 26.40 लाख रूपए मिलेंगे, जबकि शेष राशि विभाग और मत्स्य सहकारी सभाओं की हिस्सेदारी रहेगी. मछुआरों को तय रेट के मुताबिक अस्सी फीसदी हिस्सा दिए जाने का प्रावधान किया गया है. उन्होंने बताया कि इस बार जलाशयों में अवैध शिकार पर प्रतिबंध के तहत 190 केस पकड़े गए हैं. पौने दो लाख के करीब जुर्माना राशि वसूल की गई है.

मत्स्य आखेट पर लगा प्रतिबंध हटा

उल्लेखनीय है कि क्लोज सीजन की शुरूआत में बारिशें कम होने के चलते मछुआरों की और से अवधि बढ़ाने का आग्रह किया गया था, जिसे सरकार से अनुमति मिलने के बाद लागू किया गया है. 16 अगस्त को मत्स्य आखेट से वैन हटाया गया और मछली पकडऩे का कार्य शुरू किया गया है जिसके तहत हालांकि गोविंदसागर में पिछले साल के मुकाबले इस बार पांच मीट्रिक टन मछली कम पाई गई. गोविंदसागर में 8.7 मीट्रिक टन मत्स्य उत्पादन हुआ है, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 14 मीट्रिक टन था. सूत्र बताते हैं कि चूंकि जलाशय में पानी लबालब भरा है जिस कारण मछली को आगे पीछे भागने में सुविधा है, लिहाजा मांदली, लठियाणी और भाखड़ा में पहले दिन कम प्रोडक्शन दर्ज की गई है. आगामी दिनों में बढ़ोतरी होने की उम्मीद है.

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