बिलासपुर:भाखड़ा विस्थापितों के शहर में अभी तक न तो स्थायी रूप से लोग बस पाए हैं और ना ही भगवान. एक तरफ जहां प्रदेश सरकार यहां के लोगों के अतिक्रमण को हटाने में जुट गई है, तो वहीं दूसरी ओर यहां पर जलमग्न हुए मंदिरों की बात की जाए तो 100 सालों से बने पौराणिक मंदिर बद से बदतर हो गए हैं.
भाखड़ा बांध बनने पर देश के पहले पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल ने बिलासपुर के लोगों को बहुत सी सुविधाएं देने के वायदे किए थे, लेकिन जब बांध बना तो वह सारी सुविधाएं धराशाई हो गई. भाखड़ा बांध बनने के बाद ही पंजाब, हरियाणा व राजस्थान राज्यों में पानी व बिजली की सुविधा मिली है.
भाखड़ा विस्थापितों पर मंडरा रहा संकट बता दें कि 2 जनवरी 2020 तक हाईकोर्ट ने बिलासपुर में अवैध कब्जों को हटाने के आदेश जारी कर दिए हैं. प्रशासन इन कब्जों को हटाने में पूरी तरह तैयार हो गया है. पुलिस बल सहित सारे विभागीय अधिकारी इस कार्य के लिए जुट गए हैं, लेकिन एक बार भी प्रदेश सरकार सहित केंद्र सरकार को इस जिले की कुर्बानी याद नहीं आ रही है, जिसकी बदौलत आज पंजाब, हरियाणा व राजस्थान हरे भरे हुए हैं.
वहीं, 60 वर्षों से यहां पर मंदिर अनदेखी का शिकार हो रहे हैं. पुरातत्व समय की बात करें तो राजाओं के समय से ये मंदिर बनाए गए थे,लेकिन जब यहां पर भाखड़ा बांध बनाया गया तो पानी के अस्तित्व में समाएं इन मंदिरों को शिफ्ट करने के लिए केंद्र सरकार ने कार्य योजना बनाई, लेकिन हर साल यहां पर मंदिरों के सर्वेक्षण के लिए टीम आती है और उसके बाद फिर से यह कार्य कागजों तक ही सीमित रह जाते है.
ये भी पढे़ं: नशे के खिलाफ शिमला में 18 संस्थाओं ने साझा किया मंच, विधायक राकेश सिंघा सहित कई लोगों ने रखे अपने विचार