बिलासपुर: कोरोना वायरस के दस्तक देते ही बाजार में बिकने वाली खाने से जुड़ी चीजों की गुणवत्ता को लेकर लोग और ज्यादा ध्यान देने लगे हैं. कोरोना वायरस का सबसे ज्यादा असर लोगों की इम्यूनिटी पर पड़ रहा है, ऐसे में लोग ने अपने खाने पीने की चीजों में सुधार करना शुरू कर दिया है और खरीददारी करते समय भी काफी सजग हो गए हैं.
वहीं, अब कोरोना से बचाव के लिए डॉक्टरों की ओर से लोगों को अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्युनिटी का बनाए रखने के लिए कहा जा रहा है, हेल्दी डाइट और प्रोटीन से भरपूर चीजों का सेवन करने की हिदायत दी जा रही है. ऐसे में से बाजारों में मीट की मांग बढ़ रही है.
अब सवाल उठता है कि बाजारों में बिकने वाले मांस की गुणवत्ता कितनी सही है. आपको जो मीट परोसा जा रहा है, क्या उसकी जांच की गई है या नहीं. अगर जिला बिलासपुर की बात करें तो यहां के प्रशासनिक अधिकारियों ने बताया कि शहर के मीट विक्रेताओं पर पशु पालन और खाद्य आपूर्ति विभाग नजर बनाए हुए. सभी मीट विक्रेता स्वास्थ्य मानकों का पालन कर रहे हैं.
बिकने वाले मटन की जांच प्रक्रिया
बिलासपुर स्थित मल्टीपरपस वेटनरी हास्पिटल इंचार्ज और पशुपालन विभाग के परियोजना अधिकारी ने बताया कि बाजार में बिकने वाले मटन की बेचे जाने से पहले जांच की जाती है. सबसे पहले दुकानदार बकरे को खरीददकर पशुपालन विभाग में लाता है. जिसके बाद यहां पर विशेषज्ञ उस बकरे का स्वास्थ्य जांच करते है और उसके बाद उसका पोस्टमार्टम की रिपोर्ट भी तैयार करते है. उसके बाद विभाग द्वारा मीट पर मुहर लगाई जाती है. तब वह अंतिम रूप देकर मार्किट में लोगों को बेचा जाता है.
पशुपालन विभाग बाजार में बिकने वाले मीट का पूरा स्वास्थ्य जांच करता है. अगर कोई बकरे के स्वास्थ्य ठीक नहीं है या फिर वह अधिकर कमजोर है, तो विभाग उसे रिजेक्ट कर देता है. जिसके बाद उसे दुकानदार बेच नहीं सकते है.
फूड एंड सेफटी विंग भी करता है जांच