ऊना: जिला ऊना में गिरते भूजल स्तर की समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार जल शक्ति अभियान शुरू करने जा रही है. ये जानकारी केंद्र सरकार के इलेक्ट्रॉनिक व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के संयुक्त सचिव राजीव कुमार ने दी.
इलेक्ट्रॉनिक व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के संयुक्त सचिव राजीव कुमार ने बताया कि केंद्र सरकार देश के 255 जिलों में जल शक्ति अभियान शुरू कर रही है. एक दशक में भू-जल स्तर लगभग 2 मीटर नीचे जा रहा है, जिसके दुष्परिणाम भविष्य में देखने को मिलेंगे. उन्होंने बताया कि भू-जल स्तर गिरने की कई वजह हैं, जिसमें बदलती जीवन शैली और खेती के लिए पानी की बढ़ती मांग प्रमुख है.
राजीव कुमार ने बताया कि भारत में ज्यादातर बारिश मानसून में होती है, लेकिन मौसम में बदलाव की वजह से बारिश के दिन भी कम हो गए हैं. कम दिनों में ज्यादा बारिश हो रही है, जिसकी वजह से भरपूर पानी रिस कर जमीन में नहीं जाता और ज्यादातर पानी बहकर नदी-नालों में पहुंच जाता है. उन्होंने बताया कि साल 1951 में प्रति व्यक्ति हर साल 5177 क्यूबिक मीटर पानी उपलब्ध था, जो 2025 तक घट कर 1345 क्यूबिक मीटर रह जाएगा.
राजीव कुमार ने बताया कि जल शक्ति अभियान के तहत पांच स्तर पर काम किया जाएगा. पहला पानी बचाना व वर्षा जल संग्रहण, दूसरा परंपरागत जल स्रोतों का नवीनीकरण, तीसरा व्यक्तिगत व सामुदायिक सोकपिट बनाकर बोरवेल रिचार्ज स्ट्रक्चर, चौथा वॉटरशेड विकास व पांचवां पौधारोपण शामिल है. उन्होंने बताया कि सभी हितधारक मिलजुल कर इन गतिविधियों के माध्यम से भू-जल स्तर में सुधार ला सकते हैं, जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे.
आईपीएच विभाग के अधिकारी के एस मंढोतरा ने बताया कि ऊना में भू-जल स्तर का 148 प्रतिशत इस्तेमाल हो रहा है, जोकि चिंताजनक है. अगर ऐसे ही पानी का दुरूपयोग होता रहा और भू-जल में गिरावट आती रही तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि भू-जल स्तर को मानसून से पहले व मानसून के बाद मापा जाता है, जिसमें सामने आया है कि जिला में अधिकतर जगहों पर मानसून से पहले व बाद भी पानी का स्तर गिर रहा है.