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चारों तरफ पानी से घिरा गरीब नाथ मंदिर बना पर्यटकों की पहली पसंद, हर रोज पहुंच रहे सैकड़ों श्रद्धालु - गोविंद सागर झील हिमाचल

कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र के गोविंद सागर में स्थित बाबा गरीब नाथ मंदिर पर्यटकों की पहली पसंद बनकर उभर रहा है. मंदिर के इतिहास के बारे में कहा जाता है कि गोबिंद सागर झील के बीच मंदिर बाबा गरीब नाथ की तपोस्थली है. इस स्थान पर बाबा गरीब नाथ ने लगभग 40 साल तक घोर तपस्या की थी.

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Published : Aug 27, 2019, 5:04 PM IST

ऊना: कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र के गोविंद सागर में स्थित बाबा गरीब नाथ मंदिर पर्यटकों की पहली पसंद बनकर उभर रहा है. आलम ये है कि इन दिनों गोविंद सागर झील पानी से लभालब भर चुकी है. जिससे बाबा गरीब नाथ के मंदिर का आधा हिस्सा पानी में डूब चुका है.

दरअसल चारों तरफ पानी ही पानी और बीच में बना सुंदर मंदिर इन दिनों ऐसा मनमोहक दृश्य आपको कुटलहैड़ विधानसभा क्षेत्र के अंदरौली (रायपुर मैदान) पहुंचते ही दिखाई देता है. हिमाचल सहित पड़ोसी राज्य पंजाब से भी सैंकड़ों श्रद्धालु इस मंदिर में शीश नवाने पहुंचते हैं. बरसात के दिनों में गोबिंद सागर झील का स्तर ऊपर आ जाता है, जिसकी वजह से ये मंदिर जुलाई से नवंबर तक चारों तरफ से पानी से घिरा रहता है.
गोबिंद सागर झील के चारों तरफ छाई हरियाली खूब लुभा रही है, जिससे अंदरौली पर्यटकों के लिए पसंदीदा स्थल बनता जा रहा है. छुट्टी वाले दिन अंदरौली में खासी भीड़ रहती है. यहां आने वाले पर्यटक पहले झील में बने बाबा गरीब नाथ मंदिर के दर्शन करते हैं और इसके बाद गोबिंद सागर झील में मोटर बोट का लुत्फ उठाते हैं. मंदिर परिसर में भगवान शिव की विशालकाय प्रतिमा और माता वैष्णों देवी की गुफा लोगों केे आकर्षण का केंद्र है.

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मंदिर के इतिहास के बारे में कहा जाता है कि यह बाबा गरीब नाथ की तपोस्थली है. इस स्थान पर बाबा गरीब नाथ ने लगभग 40 साल तक घोर तपस्या की थी. मंदिर परिसर में अमलताश का लगभग 500 वर्ष पुराना पेड़ भी है, जहां बाबा गरीब नाथ की प्रतिमा स्थापित की गई है.

स्थानीय लोगों ने बताया कि गोबिंद सागर झील से पहले इस स्थान पर बहुत घना जंगल होता था, लेकिन 60 के दशक में गोबिंद सागर झील बनने से अब मंदिर का हिस्सा ही शेष रह गया है. वहीं, श्रद्धालुओं ने बताया कि बाबा गरीब नाथ मंदिर में जाने के लिए उनको मोटर बोट सहारा लेना पड़ता है.

डीसी संदीप कुमार ने बताया कि बाबा गरीब नाथ मंदिर के साथ-साथ अनेकों रमणीक स्थल हैं और इन पर्यटक स्थलों को विकसित करने के लिए आधारभूत ढांचा मजबूत करने के प्रयास किए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि मंदिर पीर गौंस का जीर्णोद्धार 11 करोड़ रुपए की लागत से किया जाएगा. साथ ही गोबिंद सागर झील में जल क्रीडाएं शुरू की जायेंगी.

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