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ऊना में उद्योग कामगारों की हड़ताल में गरजे विधायक राकेश सिंघा, 4 साल से चल रहा विवाद

जिला ऊना के गगरेट में स्थित ल्यूमिनस उद्योग में कामगार यूनियन और उद्योग प्रबंधन के बीच चल रहे विवाद में ठियोग के विधायक राकेश सिंघा ने कामगारों के हक में आवाज बुलंद की है. 9 से 11 जून तक की गई हड़ताल के अंतिम दिन शनिवार को विधायक राकेश सिंघा ने कामगारों के हितों की अनदेखी करने का आरोप जड़ते हुए सरकार को भी जमकर निशाने पर लिया. पढ़ें पूरी खबर...

Rakesh Singha On Luminous Industry Gagret Dispute
उद्योग कामगारों की हड़ताल में गरजे विधायक राकेश सिंघा

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Published : Jun 12, 2022, 1:17 PM IST

ऊना:औद्योगिक क्षेत्र गगरेट स्थित नामी उद्योग ल्यूमिनस में कामगारों और प्रबंधन के बीच चल रहे विवाद में शिमला जिले के ठियोग से विधायक राकेश सिंघा भी कूद पड़े (Rakesh Singha On Luminous Industry Gagret Dispute) हैं. शनिवार को कामगारों के समर्थन में आवाज बुलंद करने के लिए राकेश सिंघा ने हड़ताली कामगारों के साथ मंच साझा करते हुए सरकार, श्रम विभाग, उद्योग प्रबंधन और प्रशासन के खिलाफ जमकर जुबानी तीर छोड़े. गौरतलब है कि ल्यूमिनस उद्योग में 9 जून से लेकर 11 जून तक कामगारों ने हड़ताल का ऐलान किया था, हालांकि उद्योग प्रबंधन और कामगार यूनियन के बीच करीब 4 सालों से कुछ मांगों को लेकर लगातार तनातनी चल रही है.

उद्योग की कामगार यूनियन की मुख्य रूप से सालाना वेतन बढ़ोतरी, शिफ्ट भता, महंगाई भत्ता और पदोन्नति व्यवस्था को पारदर्शी करने की मांग है. इसके अलावा यूनियन के नाम पर मजदूरों को प्रताड़ित करने के आरोप भी लगातार लगते आ रहे (Luminous Industry Gagret Dispute) हैं. राकेश सिंघा ने कहा कि एक तरफ लगातार महंगाई बढ़ती जा रही है. वहीं दूसरी तरफ सरकार इस महंगाई में आम जनता का साथ देने की बजाय पूंजीपति वर्ग का साथ देकर कमजोर वर्गों को कुचलने का काम कर रही है.

उद्योग कामगारों की हड़ताल में गरजे विधायक राकेश सिंघा

सिंघा (MLA Rakesh Singha) ने कहा कि इस उद्योग के कामगार पिछले 4 वर्ष से प्रबंधन द्वारा लगातार प्रताड़ित किए जा रहे हैं, लेकिन हैरानी की बात है कि न तो इनकी आवाज श्रम विभाग सुन रहा है, न ही प्रशासन ने इनकी तरफ ध्यान दिया और न ही सरकार इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए राहत देने का काम कर रही है. उन्होंने कहा कि उद्योग प्रबंधन लगातार अड़ियल रवैया पर टिका हुआ है, जिसके चलते मांगपत्र पर समझौता न करना व लगातार मजदूरों को प्रताड़ित करना, विभागीय तबादला, गैरकानूनी वेतन कटौती, मानसिक प्रताड़ना, न्यायलय द्वारा बहाल किये मजदूरों को काम पर न लेना.

जबकि कानूनी रूप से उद्योग प्रबंधन को दिया गया मांग पत्र भी अभी तक उद्योग प्रबंधन की फाइलों में धूल फांक रहा है. उन्होंने कहा कि भीषण महंगाई के इस दौर में सरकार कामगारों को क्या राहत दे रही है, सरकार को यह सार्वजनिक रूप से बताना चाहिए. उद्योग के कामगार यदि 4 सालों से वेतन वृद्धि की मांग कर रहे हैं, तो निश्चित रूप से बढ़ती महंगाई का इनके और उनके परिवारों पर गहरा असर है.

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