हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

ETV Bharat / city

ऊना: 3.50 करोड़ रुपए के लोन फर्जीवाड़े मामले पर CBI की दबिश, खाद्य तेल कारोबारी समेत पांच पर FIR

जिला मुख्यालय से सटे रक्कड़ कॉलोनी में बुधवार सुबह सीबीआई की शिमला टीम ने एक व्यवसायी के घर और उसके बंद पड़े व्यापारिक प्रतिष्ठान पर छापेमारी की. सीबीआई की (CBI raids loan fraud case in Una) कार्रवाई करीब 3.50 करोड़ रुपए के लोन फर्जीवाड़े से जुड़ी हुई है. पढ़ें पूरी खबर...

CBI raids loan fraud case in Una
तनिष्का एग्रो वेंचर्स कंपनी में लोन फर्जीवाड़ा

By

Published : May 18, 2022, 10:04 PM IST

ऊना:जिला मुख्यालय से सटे रक्कड़ कॉलोनी में बुधवार सुबह सीबीआई की शिमला टीम ने एक व्यवसायी के घर और उसके बंद पड़े व्यापारिक प्रतिष्ठान पर छापेमारी की. सीबीआई की कार्रवाई करीब 3.50 करोड़ रुपए के लोन फर्जीवाड़े से जुड़ी हुई है. इस मामले के संबंध में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के रीजनल मैनेजर राजेश कुमार कौंडल ने सीबीआई को शिकायत सौंपी थी.

वहीं, सीबीआई ने आरंभिक छानबीन करने के बाद आरोपियों के (CBI raids loan fraud case in Una) खिलाफ केस दर्ज करते हुए मामले की जांच शुरू कर दी है. बुधवार सुबह से उक्त बंद पड़े व्यापारिक प्रतिष्ठान में छापेमारी करने पहुंची सीबीआई टीम देर शाम बाहर निकली. बताया जा रहा है कि खाद्य तेल बनाने की कंपनी के नाम पर करीब 3.50 करोड़ रुपये का लोन लिया गया है. वहीं, इसके अतिरिक्त करीब 23 लाख रुपए के दो लोन कारों की खरीद फरोख्त के नाम पर भी लिए गए. उनमें भी फर्जीवाड़ा पाया गया है.

सीबीआई को दी शिकायत में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (State Bank Of India) के अधिकारी राजेश कौंडल ने बताया कि तनिष्का एग्रो वेंचर्स नाम की कंपनी (Tanishka Agro Ventures) के लिए आरोपी तुषार शर्मा ने बैंक से 1.50 करोड़ की सीसी लिमिट और करीब 2 करोड़ का टर्म लोन लिया था. तनिष्का एग्रो वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर लिए गए ऋण के लिए खुद तुषार शर्मा, उनकी पत्नी श्वेता शर्मा, उनके पिता राकेश शर्मा और हरोली उपमंडल के तहत पड़ते ललड़ी गांव की निवासी कुमारी निशा इसके अतिरिक्त एक अज्ञात व्यक्ति ने गारंटर की भूमिका अदा की थी.

वहीं, तुषार शर्मा खुद कंपनी का मुख्य संचालक भी था, फर्जीवाड़े के मुख्य आरोपी ने बैंक को यह भरोसा दिलाया था कि वह खाद्य तेल बनाने की कंपनी स्थापित कर रहे हैं. जिसके लिए उनकी औद्योगिक इकाई उद्योग विभाग में भी पंजीकृत है. इतना ही नहीं आरोपियों ने दो कारों की खरीद करने के लिए 11.30 लाख और 11.70 लाख रुपए के ऋण भी बैंक से लिए थे. लेकिन जब बैंक के अधिकारियों ने पूरे मामले की छानबीन की तो बैंक से लिया गया लोन आरोपी द्वारा संचालित की जा रही ऑटोमोबाइल यूनिट से डायवर्ट कर दिया गया था.

इतना ही नहीं आरोपियों द्वारा कारों की खरीद फरोख्त के लिए लिए गए लोन में भी फर्जीवाड़ा किया गया था. वहीं, खाद्य तेल के नाम पर लगाया गया औद्योगिक यूनिटी उद्योग विभाग में भी पंजीकृत नहीं पाया गया. जिसके बाद बैंक के अधिकारियों ने फौरन मामले की तलाश सीबीआई के बैंक शिकायत विंग में देते हुए मामले की जांच करने की मांग उठाई. सीबीआई के सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस शिमला संतोष कुमार ने मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि टीम ने दबिश देकर लोन फर्जीवाड़ा के मुख्य आरोपी के घर और व्यापारिक प्रतिष्ठानों का रिकॉर्ड खंगाला है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details